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#ग़जल ************************* ग़जल-ओ-शायरी फिर ल

#ग़जल
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ग़जल-ओ-शायरी फिर लिखता कौन,
ग़म -ए- जुदाई  फिर  लिखता कौन!

गर  हो जाती  मुहब्बतें मुकम्मल सारी
सितम- ए- खु़दाई फिर लिखता कौन!

महबूब हो जाते ‌ सबको नसीब अगर
रूह -ए -रूबाई  फिर लिखता कौन!

होता जो हर चाहने वाला साथ अगर,
शाम- ए- तन्हाई  फिर लिखता कौन!

ग़र  पूरे होते  हरदिल अरमां 'संतोष' 
नज्म- ए- दुहाई  फिर  लिखता कौन!

©Santosh Sawner #ग़जल #शायरी #Poetry #poem