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गजल बारिकी से भले देखते हम मगर बोलते कुछ नही परवा

गजल

बारिकी से भले देखते हम मगर
बोलते कुछ नही परवाह हैं मगर

हाथ रखते जमी पर चले वो मगर
देखे हाथ मेरा जैसे काटा मगर

जुल्म सहते गये ना कभी कुछ काहा
मुंद आखे गये , लेगायी वो जहा

भरोसा था खुदा से बडा भी मुझे
तोड के जो गई , कुछ ना सोचा मगर

तब से खुश हम बडे ही हुये हैं मगर
दिल में जो दर्द हैं कोन पूछे मगर 

सादगी से रहे हम युही उम्र भर
चाहे वकिफ ना हो ये जहा भी मगर

फरक पडता भी क्या जान ले ये मगर
जिंदगी चल रही है घडी हर सहर

ताजगी हैं बनी पर धुसा हैं मगर
सारे सोते हैं ओर रोते हम हैं मगर 

फिर से करते रहे ये मगर वो मगर 
चलती बे सुध रही मेरी सासे मगर 

ओर जिते गये हम युही दर बदर
पर दुखी ना हुये करना क्या है मगर 

वारणा करते राहेंगे युही बस मगर 
ये मगर वो मगर तो मगर सो मगर

#सत्यसाधक #पहेलाप्रयास
#गजल


#DesertWalk 
#nojoto
#गझल
#सत्यसाधक
गजल

बारिकी से भले देखते हम मगर
बोलते कुछ नही परवाह हैं मगर

हाथ रखते जमी पर चले वो मगर
देखे हाथ मेरा जैसे काटा मगर

जुल्म सहते गये ना कभी कुछ काहा
मुंद आखे गये , लेगायी वो जहा

भरोसा था खुदा से बडा भी मुझे
तोड के जो गई , कुछ ना सोचा मगर

तब से खुश हम बडे ही हुये हैं मगर
दिल में जो दर्द हैं कोन पूछे मगर 

सादगी से रहे हम युही उम्र भर
चाहे वकिफ ना हो ये जहा भी मगर

फरक पडता भी क्या जान ले ये मगर
जिंदगी चल रही है घडी हर सहर

ताजगी हैं बनी पर धुसा हैं मगर
सारे सोते हैं ओर रोते हम हैं मगर 

फिर से करते रहे ये मगर वो मगर 
चलती बे सुध रही मेरी सासे मगर 

ओर जिते गये हम युही दर बदर
पर दुखी ना हुये करना क्या है मगर 

वारणा करते राहेंगे युही बस मगर 
ये मगर वो मगर तो मगर सो मगर

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