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White खता गर कम करूं फिर भी सजा नहीं घटती कि रातें

White खता गर कम करूं फिर भी सजा नहीं घटती
कि रातें अब तुम्हारी याद बिन नहीं कटती ।

मेरे महबूब की तस्कीन में सबकुछ तो दिखता है
खुदा दिखता है मुझको पर वफा नहीं दिखती ।

लिपट जाती हैं मुझ पर जब लताएं रायेगानी की
हुई बरसात हो फिर भी घटा नहीं दिखती ।

तगाफुल में महज इतना इज़ाफा कर लिया हमने
खफा होकर भी मैं उसको खफा नहीं दिखती ।

मेरी रूह मुझको देख कर थर्रा के बोली है
कि प्रज्ञा आजकल तू जिस्म में नहीं दिखती ।

वो मेरी आंखों से काजल बहाकर आज बोला है
तुम्हारे पांव में पायल भी अब नहीं दिखती ।

अलग से देखने का शौख मत पालो जहां वालों
मैं उसकी रूह हूं उससे जुदा नहीं दिखती।

मेरी मां ने भी मुझको एक अर्से बाद देखा है
मैं कमरे के भी बाहर आजकल नहीं दिखती ।

मेरी लेखनी से अब शिकायत है जमाने को
मोहब्बत से इतर मैं और कुछ नहीं लिखती ।

©#काव्यार्पण
  वफा नहीं दिखती: प्रज्ञा शुक्ला
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#emotional_sad_shayari  ꧁༒शिवम् सिंह भूमि༒꧂ Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Ravi Ranjan Kumar Kausik एक Mohabbati विधार्थी Sircastic Saurabh  Jazbaati ladka @hardik Mahajan Anshu writer mautila registan(Naveen Pandey) Niaz (Harf)