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कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है दोस्ती में जां जो मां

कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है

दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे।
नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे।
दोस्त बेशक़ कम ही चुनना, आये जिनको तुमको गुनना।
दोस्त हैं तो शान्त है मन, वरना मन मे खलबली है।
दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है।

साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा।
सामने सबके जो बचाये, बाद में गलती समझाए।
दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए।
संकटों में साथ देकर दूर करता बोझिली है,
दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है।

मित्रता रघु ने निभाई, ख़ुशहाली किष्किंधा पाई।
था समान जो मित्र अरु भाई, लंका का अधिपति कहाई।
मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे।
लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है।
दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है।
                     -शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #FriendshipDay 
कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है

दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे।
नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे।
दोस्त बेशक़ कम ही चुनना, आये जिनको तुमको गुनना।
दोस्त हैं तो शान्त है मन, वरना मन मे खलबली है।
दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है।

#FriendshipDay कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे। नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे। दोस्त बेशक़ कम ही चुनना, आये जिनको तुमको गुनना। दोस्त हैं तो शान्त है मन, वरना मन मे खलबली है। दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है। #Hindi #poem #hindipoetry #hindi_poetry #hindisahityasagar #poetshailendra

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