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मैं जब भी गुनगुनाता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं कोई

मैं जब भी गुनगुनाता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं
कोई नगमा सुनता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं

मेरे दिल में जो तूने ,मोहब्बत का साज छेड़ा था
मैं जब वो धुन, बजाता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं
कोई नगमा सुनाता हूं,तो आंखें भीग जाती हैं 

वीना शुर के, हर गीत  अधूरा सा रहता है
मैं जब जब शुर, लगाता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं
कोई नगमा सुनाता हूं, तो आंखे भीग जाती हैं 

वो पहली दफा तुमने, हमें दिल से लगाया था
वो पल जब याद करता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं
कोई नगमा सुनता हूं, तो आंखें भीग जाती हैं 

न जानें कब *असद*मैं इतना मुस्कुराया था
मैं जब भी ,मुस्कुराता हूं
तो आंखें भीग जाती हैं
कोई नगमा सुनता हूं,तो आंखें भीग जाती हैं

©Asad Khan Lakhimpuri
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