आखिर कौन है . जिम्मेदार मेरी नैतिक विकृतियों क़े नैपथ्य मे? क्यों है सम्वेदनशून्यताये मेरे जीवन मे? क्यों है आकुलताये इतनी और ये हताशा मे रंगी हुई व्यकुलताये क्यों है मेरी लंगड़ी वासनाओ क़े लिए इतनी सारी वैसाखिया? क्या ये विचार सत्य की दिशा मे किसी ठोस अनुसंधान को जन्म दे सकती है,? अथवा मै कही झूठ क़े आध्यात्मिक पहलू. पर कोई विश्लेषण करने. का विचार तो नहीं कर रहा हूँ? #विश्लेषण....