आख़िरी दफ़ा जो तुझें देखा होता, दिल ना ऐसे कभी तन्हा होता। प्यासी ना मरती मोहब्बत मेरी , सावन तेरे नूर का जो बरसा होता। पाप-पुण्य अच्छा-बुरा न देखा होता, शायद कोई शख्स अपना हुआ होता। दौर-ए-ज़वानी का जिया है हमनें, उन्हें ना देखता तो कैसे पता होता। मेरे अल्फ़ाज़ आवारा परिंदे होते, गर ख़्यालों को पर लग गया होता। (ग़ज़ल- पाप और पुण्य) #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkपापऔरपुण्य #yqdidi #yqbaba #नज़्म_ए_बयाँ