Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best रमज़ान_कोराकाग़ज़ Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best रमज़ान_कोराकाग़ज़ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about

  • 8 Followers
  • 101 Stories

ashutosh anjan

🔶खुशियों की बरसात🔶
ज़िंदगी क़दम क़दम पर और  दुश्वार होती जा रही है,
अपनो से बिछड़ जाने के लिए तैयार होती जा रही है।

न इश्क़ का सावन आया न खुशियों की बरसात हुई,
साँसों  के दरमियाँ देखों अब  दीवार होती जा रही है।

ख़ुश-रंग मौसम  गुलज़ार समां अब कल की बात है,
हर चौराहा  हर गली अब  गुनहगार होती जा रही है।

ग़मो से तो ऐसा रिश्ता सा बनकर रह गया है 'अंजान',
रुख़्सती देते देते मेरी रूह अब बीमार होती जा रही है। #कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkख़ुशियोंकीबरसात 
#yqbaba
#yourquotedidi 
#yqdidi

ashutosh anjan

स्याह  रातों  से  जानें  क्यों  अब  बंदगी  होने लगी है,
लब  ख़ामोश  है  फिर भी  अब  गुफ़्तगू  होने  लगी है।
आईनें में देख  लिया है  जिस  दिन  से  चेहरा  उसका,
जेठ  की  दोपहरी में  अब  बाद-ए-सबा  बहने लगी  है।
जिस दिन से बरसी है तेरी इनायत अब्र बनकर मुझ  पर,
दुनिया  तबसे  मुझें  मोहब्बत का  देवता  कहने लगी है।
रोज़ -रोज़ नई -नई ख़्वाहिशें ज़हन क्यों बढ़ती जाती है,
भीड़  इतनी कि दिल के  कूचें में घुटन सी होने लगी है।
दिल  आज़ाद  है  लेकिन  धड़कन  तेरी  मुट्ठी में  क़ैद है,
रहमतों की रात में रूह बदन छोड़ जाने को कहने लगी है।
मेरी मोहब्बत  का असर पानी जैसा हो  गया है  'अंजान',
रंगीनियाँ  छाई है ज़हाँ  में मग़र ज़िंदगी बेरंग होनें लगी है। (रहमतों की रात)
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkरहमतोंकीरात 
#yqdidi 
#yqbaba

ashutosh anjan

जंगल  के  जंगल  मकान  हुए  जाते  है,
एक एक करके शहर वीरान  हुए जाते है।

हम उनसे जख्मों का इज़हार कैसे करते,
जो मेरे तेज़ साँसों से परेशान हुए जाते है।

रेत की सीपियां  मिलने  लगी है  पानी में,
क्या दरिया भी अब रेगिस्तान हुए जाते है।

चलते  चलते  गाँव  से शहर  आ गए है हम,
रौशन बहुत है फिर भी बयाबान हुए जाते है।

तिश्नगी  फ़ैली  है  इस  कदर  ज़माने  में  अब,
आँखें बंद करके अंज़ाम से अंजान हुए जाते है। चलते चलते(ग़ज़ल)

#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkचलतेचलते 
#yqdidi

ashutosh anjan

ज़हान के रंगमंच  में हर  आदमी एक किरदार है,
गफ़लत न पालें कि हर कोई आपका तरफ़दार है।


कभी  नज़रों का बोझ तो कभी दिल पर बोझ है,
कहने को खाली है फिर भी जज़्बातों का बाजार है।


'पैग़ाम-ए-इश्क़ न सही ख़्वाबो में गुफ़्तगू हो जाएगी,
लेकिन  इक  नींद  है जो मेरे ख़्वाबो की पहरेदार है।


मेरा मन बहुत बेचैन है जरूर कुछ छूटा है 'अंजान',
चौकठ ख़ाली खिड़की सूनी और चुपचाप दीवार है। इश्क़ का पैग़ाम (ग़ज़ल)
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkइश्क़कापैग़ाम 
#yqdidi 
#yqbaba

ashutosh anjan

रीति-रिवाजों  की बेड़ियों में  मचल रहा हर कोई,
मंज़िल पता नही मग़र सफ़र में चल रहा हर कोई।

ज़िंदा रहने की ख़ातिर इंसानियत खोते जा रहे हम,
हर धड़ गिरेगा लेकिन वहम है संभल रहा हर कोई।

हर इंसान  ख़्वाहिशों का  व्यापार करता जा रहा है, 
ख़ामोशी की तलब में साँसों का खलल रहा कोई।

हर  पल ये 'दुनिया'  मेरे  सब्र  को  परखती  रही है,
इम्तिहान में मुझें  छोड़कर सफ़ल रहा है हर कोई।

ये मौसम ये सुबह ये हवा बातें करने लगें है 'अंजान',
मेरी ज़िंदगी जीने के मायनों को बदल रहा हर कोई। दुनिया (ग़ज़ल) 
#कोराकाग़ज़
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkदुनिया 
#yqbaba 
#yqdidi

ashutosh anjan

अक्सर सुना करता हूँ दौलत 
की ताकत के अनकहे किस्से 
मगर है कुछ प्रश्न अनुत्तरित 
क्या ख़रीद  सकती है दौलत 
चंद सांसों को भी 
मोहब्बत किस बाज़ार में बिकती है
भला, दोस्ती और निष्ठा को 
तौल पाएंगे कागज़ के टुकड़े से
जब जीवन मरण सुख दुःख प्रेम
सच्ची निष्ठा का क्या है कोई मोल भला
क्या अर्थ इस दौलत की ताक़त का
है निरर्थक!अगर समझ गए तो! दौलत की ताकत(कविता)
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi 
#kkr2021 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkदौलतकीताक़त   #yqbaba #आशुतोष_अंजान

ashutosh anjan

नभ के आलिंगन में लिपटा
वो अपना सा लगता है
इक सन्नाटा उधर भी है
तो ख़ामोश मैं भी हूँ 
पूरा मैं भी नही तो अधूरा वो भी है
जलते दोनों है संभवतः 
पश्चाताप की धवल अग्नि में
लोग समझतें है रौशन हमें
हर रात जगता वो भी है
तो रतजगा मैं भी हूँ
गर वो अब्र का चांद ठहरा 
तो मैं भी ज़मीं का सहरा हूँ।
एक दूसरे के सुख दुःख के साथी
दोनों अधूरे है, मैं और चाँद! सुख दुःख के साथी ('मैं और चाँद') (कविता)
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkसुखदुखकेसाथी 
#yqbaba 
#yqdidi

ashutosh anjan

मरने के बाद (ग़ज़ल) बेदार- चौकन्ना बेज़ार- खिन्न, अप्रसन्न #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021

read more
ख़्वाबों की ज़ुस्तज़ू है आँखे बेदार होती जा रही है,
साँसे  बंद  नही  लेकिन  दुश्वार होती  जा  रही  है।

ख़्वाहिशों  का  भार  जैसे  कंधों पर  बढ़ता  गया,
दर्द नही है लेकिन ज़िंदगी कटार होती जा रही है।

यक़ीनन  मेरी  जिंदगी  एक खुली क़िताब जैसी है,
तभी मेरी मंज़िल हफ़्ते का इतवार होती जा रही है।

तेरे सवालों का शोर इस क़दर फैला है मेरे ज़हन में,
मेरी आँखें तेरे दीदार की तलबगार होती जा रही है।

अब तो  दरख्तों पर भी नए नए  फूल उग आए है,
एक उम्मीद है जो  टूटकर  बेज़ार होती जा रही है।

मरने के बाद भी ज़िंदगी खबरों में रहती है 'अंजान',
तभी  ज़िंदगी  रोज़  नया अख़बार  होती जा रही है। मरने के बाद (ग़ज़ल) 
बेदार- चौकन्ना
बेज़ार- खिन्न, अप्रसन्न

#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021

ashutosh anjan

अतिथि सत्कार सेवा भारतीय संस्कृति का परम कल्याणकारी व्रत है। शास्त्रों में वर्णित है। मातृ देवो भव ! पितृ देवो भव ! अतिथि देवो भव ! आचार्य देवो भव ! अतिथि भगवान का स्वरूप है। इसीलिए कहा भी गया है- ना जाने किस भेष में मिल जाए भगवान। यहां महाभारत में वर्णित एक कबूतर के अतिथि सत्कार सेवा व्रत का आख्यान प्रस्तुत है, जिसमें उस कबूतर ने अतिथि के भोजन के लिए अग्नि में अपनी ही आहुति दे दी। किसी बड़े जंगल में दुष्ट स्वभाव वाला एक बहेलिया रहता था। वह प्रतिदिन जाल लेकर वन में जाता और परिवार के पालन पोषण के

read more
अतिथि सत्कार
(लघु कथा के रूप में अनुशीर्षक 👇में) अतिथि सत्कार सेवा भारतीय संस्कृति का परम कल्याणकारी व्रत है।
शास्त्रों में वर्णित है। मातृ देवो भव ! पितृ देवो भव ! अतिथि देवो भव ! आचार्य देवो भव ! अतिथि भगवान का स्वरूप है। इसीलिए कहा भी गया है- ना जाने किस भेष में मिल जाए भगवान। 
यहां महाभारत में वर्णित एक कबूतर के अतिथि सत्कार सेवा व्रत का आख्यान प्रस्तुत है, जिसमें उस कबूतर ने अतिथि के भोजन के लिए अग्नि में अपनी ही आहुति दे दी। किसी बड़े जंगल में दुष्ट स्वभाव वाला एक बहेलिया रहता था। वह प्रतिदिन जाल लेकर वन में जाता और परिवार के पालन पोषण के

ashutosh anjan

खुशियों का दरवाज़ा(कविता) जब पूछ बैठता है कोई हाल मेरा सहसा सोच में डूब कर मैं सागर के तल में चला जाया करता हूँ सोचकर इतना ही कह पाता हूँ कि अगर ख़ुद का ठीक होना ही है तो हर घड़ी तो मैं ठीक रहता हूँ! लेकिन खुशियों के दरवाज़े बंद हो जैसे

read more
जब पूछ बैठता है कोई हाल मेरा
सहसा सोच में डूब कर मैं
सागर के तल में चला जाया करता हूँ
सोचकर इतना ही कह पाता हूँ कि 
अगर ख़ुद का ठीक होना ही है
तो हर घड़ी तो मैं ठीक रहता हूँ!
लेकिन खुशियों के दरवाज़े बंद हो जैसे
ईश्वर भी सम्भवतः अवकाश पर है!
कोई अपना,अपनों का अपना
कई वट वृक्ष गिरकर धराशाई होते जाते है
तो नई कोपलें उग आने से पहले ही टूट गई
इतिहास बनने से पहले ही अतीत हो गया!
कर पाएगा क्या कोई इनकी भरपाई! 
जवाब क्या दूँ अब जब बचा न हो कुछ
हो सकता है एक दिन सब ठीक हो जाएगा
लेकिन तैमूर और नादिरशाह के हमलों
के बाद उजड़ी  दिल्ली जैसी ही कोई 
तस्वीर वीभत्स भयावह और बिना अपनों के
जीना ही जीना नही होगा तब!! खुशियों का दरवाज़ा(कविता)
जब पूछ बैठता है कोई हाल मेरा
सहसा सोच में डूब कर मैं
सागर के तल में चला जाया करता हूँ
सोचकर इतना ही कह पाता हूँ कि 
अगर ख़ुद का ठीक होना ही है
तो हर घड़ी तो मैं ठीक रहता हूँ!
लेकिन खुशियों के दरवाज़े बंद हो जैसे
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile