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Insprational Qoute

विषय:-#दुनिया दुनिया का असूल है दोस्त जब तक आप हो कोई परवाह नही, जिस दिन छोड़ कर चले गए , खुदा कसम तुम - सा कोई नही, ये मतलबपरस्त लोगों की भीड़ से निकलना सीख ही लो तुम, अपना तो बस एक खुदा है कोई यहाँ किसी का रिश्तेदार नही, #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkदुनिया #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #Nishakamwal

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दुनिया का असूल है दोस्त जब तक आप हो कोई परवाह  नही,
जिस दिन छोड़ कर चले गए ,  खुदा कसम तुम - सा कोई  नही,

ये मतलबपरस्त लोगों की भीड़ से  निकलना सीख ही लो  तुम,
अपना तो बस एक खुदा है कोई यहाँ किसी  का रिश्तेदार  नही,

बे - तलब  रहो  इसके  तलबगार  कभी  भी  न  बन जाना   तुम,
क्षणभर का अपनापन मोह लगा के  पीछा ताउम्र  छोड़ता  नही,

"मेरा मेरा का " यह भ्रम  इन  अति व्यापक नजरो में  बसाये  हो,
सब कुछ यही ही रह जाना है यह देह नश्वर है  कोई शाश्वत  नही,

अपनी श्रेष्ठ बुद्धि के माना तुम भी बड़े ही सर्वश्रेष्ठ  बुद्धिमान   हो,
परन्तु गलतियों के पुतले भी   तुम ही हो यहाँ कोई भगवान  नही,

तिलस्मी!!!! जादुई दुनिया के इस जादू से तनिक दूर ही रहो  तो,
बेहतर है यहाँ किसी के राज़ गहरे है तो किसी की खबर तक नही,

खैर ज़नाब हम कौन से इस फ़ानी दुनिया के अलग होकर जिये है,
हम भी तो इसी में रहते है, मानना चाहो तो मानो जबरदस्ती नही। विषय:-#दुनिया

दुनिया का असूल है दोस्त जब तक आप हो कोई परवाह  नही,
जिस दिन छोड़ कर चले गए ,  खुदा कसम तुम - सा कोई  नही,

ये मतलबपरस्त लोगों की भीड़ से  निकलना सीख ही लो  तुम,
अपना तो बस एक खुदा है कोई यहाँ किसी  का रिश्तेदार  नही,

Insprational Qoute

(बचपन) ******** अद्भुत सा अनमोल अति न्यारा यह प्यारा, बिना चिंता का बचपन का संसार हमारा, वो पानी में हिलोरें खाती एक कश्ती थी, नंगे पाँव निकलते वो सावन की मस्ती थी, नन्हें नन्हें पैरों में वो पायल खनकती थी, सच मायनों में वहीं मेरी असली जिंदगी थी, #कोराकागज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkबचपन #रमज़ान_कोराकाग़ज़

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निशा कमवाल (बचपन)
********
अद्भुत सा अनमोल अति न्यारा यह प्यारा,
बिना चिंता का बचपन का  संसार हमारा,
वो पानी में हिलोरें  खाती  एक कश्ती थी,
नंगे पाँव निकलते वो सावन की मस्ती थी,
नन्हें नन्हें पैरों में  वो  पायल खनकती  थी,
सच मायनों में वहीं मेरी असली जिंदगी थी,

Insprational Qoute

देख मेरे फ़टे हालात वो मुस्कुरा कर मुझ पर तंज कस गई, उफ़्फ़ उसकी ये शोख़ अदाएं अब तो मेरे दिल मे बस गई, शायदअमीरी गरीबी का फर्क मालूम नही वो नासमझ सी है, उसकी मासूम सी तरबियत वो नादां मेरे दिल मे घर कर गई, अब दिल तो कहीं और लगता ही नहीं उस शहजादी के बिना, #kkr2021 #kkअमीरऔरगरीब #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #Nishakamwal

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देख मेरे फ़टे हालात वो मुस्कुरा कर मुझ पर तंज कस गई,
उफ़्फ़ उसकी ये शोख़ अदाएं अब तो  मेरे दिल मे बस गई,

शायदअमीरी गरीबी का फर्क मालूम नही वो नासमझ सी है,
उसकी मासूम सी तरबियत वो नादां मेरे दिल मे घर कर गई,

अब दिल तो कहीं और लगता ही नहीं उस शहजादी के बिना,
बयाँ होगा नही खामोश रहे कैसे इस ग़रीब दिल को वो जच गई,

कर दिया ये दिल का मकां भी खाली बस उसी को बसाना है,
जब भी सामने पेशकश करती है कुछ नही बस सांसे थम गई,

देखो तो सही ये गबरू जवान एक मे सौ को पछाड़ने वाला है,
जब भी नज़रे वो उठाये तो तपिश में भी वो मुझे सुन्न कर गई,

छोड़ो भी ये अमीरी ग़रीबी का खेल ये मोहब्बत में आई बाधा है,
अब तो ये दिवानगी की हद इतनी बढ़ जायेगी ऐसा असर कर गई। 
देख मेरे फ़टे हालात वो मुस्कुरा कर मुझ पर तंज कस गई,
उफ़्फ़ उसकी ये शोख़ अदाएं अब तो  मेरे दिल मे बस गई,

शायदअमीरी गरीबी का फर्क मालूम नही वो नासमझ सी है,
उसकी मासूम सी तरबियत वो नादां मेरे दिल मे घर कर गई,

अब दिल तो कहीं और लगता ही नहीं उस शहजादी के बिना,

Insprational Qoute

विधा:-काल्पनिक कहानी विषय:-(पाप और पुण्य) शिरोमणी की नियुक्ति रक्षा विभाग में हो गई थी । तो सोमवार की सुबह वह अपना कार्यभार सम्भाल लेती है और दफ्तर में उपस्थित सभी प्रियजनों का साक्षात्कार दफ्तर की महोदया जी शिरोमणी से करवाती है सभी से साक्षात्कार के पश्चात वह सभी के व्यवहार का अंदाज़ा भी थोड़ा बहुत लगा लेती है। तो सबसे अज़ीम (प्रिय)जो व्यवहार लगा वह महोदया जी का लगा और महोदया जी शिरोमणी का लगाव भी हो जाता है। अब महोदया जी अपने पदानुसार सभी कार्य को अपनी निष्ठा से करती है।तो उनकी निष्ठा अन्य सभी #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkपापऔरपुण्य #रमज़ान_कोराकाग़ज़

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मन कर्म और वचन रखना शुद्ध सदा,
इसी से ही तुम्हें प्राप्त होगा पुण्य अदा,
पाप ले जायेगें अनचाही सी राहों पर,
न आये अहम रहना ऐसी पनाहों पर।

विधा:-काल्पनिक कहानी
विषय:-(पाप और पुण्य)

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विधा:-काल्पनिक कहानी
विषय:-(पाप और पुण्य)

शिरोमणी की नियुक्ति रक्षा विभाग में हो गई थी । तो सोमवार की सुबह वह अपना कार्यभार सम्भाल लेती है और दफ्तर में उपस्थित सभी प्रियजनों का साक्षात्कार दफ्तर की महोदया जी शिरोमणी से करवाती है सभी से साक्षात्कार के पश्चात वह सभी के व्यवहार का अंदाज़ा भी थोड़ा बहुत लगा लेती है। तो सबसे अज़ीम (प्रिय)जो व्यवहार लगा वह महोदया जी का लगा और महोदया जी शिरोमणी का लगाव भी हो जाता है। अब महोदया जी अपने पदानुसार सभी कार्य को अपनी निष्ठा से करती है।तो उनकी निष्ठा अन्य सभी

Insprational Qoute

प्रतियोगिता का तीसरा दिन (14.04.2021) शीर्षक-: रहमत *****शायरियाँ**** 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 आज जो भी मिला वो सब तेरी रजा है, रहमत बरसा अगर कोई अहम वजह है, ए खुदा तू नेकी के साथ ही नेक करता है, सजदा बारम्बार तेरे दर पर ही असली मजा है। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkरहमत #रमज़ान_कोराकाग़ज़

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बरसेंगी रहमतें खुदा न मशरूफ़ है,
सब्र रख मिलेगा जो तेरे हक का है,
कर्म की तरबियत में जरा ईमान रख,
मिलता सबको अपने नसीबों का है। प्रतियोगिता का तीसरा दिन (14.04.2021)
शीर्षक-: रहमत
*****शायरियाँ****
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
आज जो भी मिला वो सब तेरी रजा है,
रहमत बरसा अगर कोई अहम वजह है,
ए खुदा तू नेकी के साथ ही नेक करता है,
सजदा बारम्बार तेरे दर पर ही असली मजा है।

ashutosh anjan

🔶खुशियों की बरसात🔶
ज़िंदगी क़दम क़दम पर और  दुश्वार होती जा रही है,
अपनो से बिछड़ जाने के लिए तैयार होती जा रही है।

न इश्क़ का सावन आया न खुशियों की बरसात हुई,
साँसों  के दरमियाँ देखों अब  दीवार होती जा रही है।

ख़ुश-रंग मौसम  गुलज़ार समां अब कल की बात है,
हर चौराहा  हर गली अब  गुनहगार होती जा रही है।

ग़मो से तो ऐसा रिश्ता सा बनकर रह गया है 'अंजान',
रुख़्सती देते देते मेरी रूह अब बीमार होती जा रही है। #कोराकाग़ज़ 
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ashutosh anjan

स्याह  रातों  से  जानें  क्यों  अब  बंदगी  होने लगी है,
लब  ख़ामोश  है  फिर भी  अब  गुफ़्तगू  होने  लगी है।
आईनें में देख  लिया है  जिस  दिन  से  चेहरा  उसका,
जेठ  की  दोपहरी में  अब  बाद-ए-सबा  बहने लगी  है।
जिस दिन से बरसी है तेरी इनायत अब्र बनकर मुझ  पर,
दुनिया  तबसे  मुझें  मोहब्बत का  देवता  कहने लगी है।
रोज़ -रोज़ नई -नई ख़्वाहिशें ज़हन क्यों बढ़ती जाती है,
भीड़  इतनी कि दिल के  कूचें में घुटन सी होने लगी है।
दिल  आज़ाद  है  लेकिन  धड़कन  तेरी  मुट्ठी में  क़ैद है,
रहमतों की रात में रूह बदन छोड़ जाने को कहने लगी है।
मेरी मोहब्बत  का असर पानी जैसा हो  गया है  'अंजान',
रंगीनियाँ  छाई है ज़हाँ  में मग़र ज़िंदगी बेरंग होनें लगी है। (रहमतों की रात)
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ashutosh anjan

जंगल  के  जंगल  मकान  हुए  जाते  है,
एक एक करके शहर वीरान  हुए जाते है।

हम उनसे जख्मों का इज़हार कैसे करते,
जो मेरे तेज़ साँसों से परेशान हुए जाते है।

रेत की सीपियां  मिलने  लगी है  पानी में,
क्या दरिया भी अब रेगिस्तान हुए जाते है।

चलते  चलते  गाँव  से शहर  आ गए है हम,
रौशन बहुत है फिर भी बयाबान हुए जाते है।

तिश्नगी  फ़ैली  है  इस  कदर  ज़माने  में  अब,
आँखें बंद करके अंज़ाम से अंजान हुए जाते है। चलते चलते(ग़ज़ल)

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#kkचलतेचलते 
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ashutosh anjan

ज़हान के रंगमंच  में हर  आदमी एक किरदार है,
गफ़लत न पालें कि हर कोई आपका तरफ़दार है।


कभी  नज़रों का बोझ तो कभी दिल पर बोझ है,
कहने को खाली है फिर भी जज़्बातों का बाजार है।


'पैग़ाम-ए-इश्क़ न सही ख़्वाबो में गुफ़्तगू हो जाएगी,
लेकिन  इक  नींद  है जो मेरे ख़्वाबो की पहरेदार है।


मेरा मन बहुत बेचैन है जरूर कुछ छूटा है 'अंजान',
चौकठ ख़ाली खिड़की सूनी और चुपचाप दीवार है। इश्क़ का पैग़ाम (ग़ज़ल)
#कोराकाग़ज़ 
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#kkइश्क़कापैग़ाम 
#yqdidi 
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ashutosh anjan

रीति-रिवाजों  की बेड़ियों में  मचल रहा हर कोई,
मंज़िल पता नही मग़र सफ़र में चल रहा हर कोई।

ज़िंदा रहने की ख़ातिर इंसानियत खोते जा रहे हम,
हर धड़ गिरेगा लेकिन वहम है संभल रहा हर कोई।

हर इंसान  ख़्वाहिशों का  व्यापार करता जा रहा है, 
ख़ामोशी की तलब में साँसों का खलल रहा कोई।

हर  पल ये 'दुनिया'  मेरे  सब्र  को  परखती  रही है,
इम्तिहान में मुझें  छोड़कर सफ़ल रहा है हर कोई।

ये मौसम ये सुबह ये हवा बातें करने लगें है 'अंजान',
मेरी ज़िंदगी जीने के मायनों को बदल रहा हर कोई। दुनिया (ग़ज़ल) 
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#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkदुनिया 
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