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निकिता आज बहुत ही कशमकश में थी ,वो समझ नही पा रही

निकिता आज बहुत ही कशमकश में थी ,वो समझ नही पा रही थी कि करे तो क्या करे ,विशाल जो कि उसका बचपन का मित्र था ,और अभी कुछ समय पहले ही उन्होंने शादी करने का फैसला किया था ।
लेकिन आज अचानक उसका व्यवहार बिल्कुल विपरीत था ,।उसकी हर बात को महत्त्व देने वाला विशाल आज अलग ही रंग में नजर आया था । वो सहज नही थी इस बात को स्वीकारने में कि विशाल जिसे वो दिलो जान से चाहती थी आज इस तरह से उसकी भावनाओ को आहत करेगा । सुबह वो कितनी ख़ुश थी जब विशाल का उसे फोन आया ,उसने दोपहर के  खाने पर उसे रेस्टोरेंट में बुलाया था ,कुछ बात करनी थी ।उसे लगा कि जरूर शादी की तिथि से संबंधित ही कुछ बात करनी होगी ,ये सोचकर ही वो रोमांचित हो गई । बड़ी ही प्रसन्नता से उसने रेस्तरां में कदम रखा ।विशाल वहाँ पहले से ही मौजूद था ।मगर इसके साथ वो लड़की कौन थी जिसके साथ वह बहुत ही संजीदगी से बातें कर रहा था ।उलझन से दो चार होते हुए वह विशाल के सामने पहुँची " हेलो विशाल "उसने सवालिया नजरो से विशाल की तरफ देखते हुए कहा ।आओ निक्की ,बैठो ,विशाल ने औपचारिकता निभाते हुए कहा ,वह सामने वाली चेयर पर बैठ गई । विशाल ने बिना किसी लाग लपेट के निकिता से कहा "इनसे मिलो ये साक्षी है मेरी मंगेतर !! निकिता को लगा जैसे किसी ने उसके पैरों तले से ज़मीन खींच ली हो। नज़र में एक सवाल था ,जिसे वह जबान पर लाना चाहती थी मगर जैसे उसकी ज़बान को लकवा मार गया था ।अपनी बात पूरी करने के लिए विशाल ने ही चुप्पी तोड़ी "कल ही हमारी मंगनी हुई ,अगले हफ़्ते शादी है और तुम्हे जरूर आना है ,निकिता के  कानो में जैसे शीशा सा घुल गया था ।विईईईईशशशशाल ,तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया साक्षी के बारे में "? वो मैं भी नही जानता था ,पिछले हफ्ते ही माँ ने मुझे साक्षी से मिलवाया है ,ये us में रहकर पढ़ रही थी अभी लौटी ही पिछले महीने ही । यहां मल्टीनेशनल कंपनी में बहुत अच्छे पैकेज पर अपॉइंट हुई है ,तो माँ ने बिल्कुल देर नही की ,अपनी सहेली की बेटी को अपनी बहू बनाने में ।
निकिता समझ गई कि आदमी का किरदार कितनी जल्दी बदल जाता है ,इतना अच्छा ऑफर होते हुए वो मुझ जैसी अनाथ को कैसे अपनी जीवन साथी बनाता ।मैंने तो अपनी मेहनत के बूते ये मुकाम हासिल किया था ,।मै थके  क़दमों से घर लौट आई ।
अब उलझन ये थी कि जिस इंसान के साथ उसने एक खुशहाल जीवन के सपने देखे उसे किसी और के साथ कैसे देख पाएगी ,इसी उलझन में उसने पूरा दिन गुज़ार दिया,और एक नए संघर्ष के लिए ख़ुद को तैयार करने की जद्दोजहद में रात और फिर एक और सुबह ,जिसमे उसे फिर से खुद को जीना था ,एक नए किरदार के साथ ।।
-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #आदमीकाकिरदार  Kamlesh Kandpal R K Mishra " सूर्य " Gyanendra Pandey Meharban Singh Josan -hardik Mahajan  Mili Saha Anshu writer GULSHAN KUMAR Banarasi.. नयन  Dil E Nadan अदनासा- Archana Verma Singh Raj Guru Ambika Mallik  ram singh yadav Yogendra Nath Yogi वंदना .... Anil Ray Mahi  एक अजनबी Mahi Saloni Khanna Sita Prasad मनोज मानव  Bhardwaj Only Budana Bhavana kmishra Subhash Chandra Rakesh Srivastava Sethi Ji  Puja Udeshi Payal Das Neel shashi kala mahto Ashutosh Mishra  Noor Hindustanai डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) अब्र (Abr) Balwinder Pal Aditya kumar prasad  Urvashi Kapoor Suresh Gulia शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) पथिक.. Deep  Lalit Saxena Sunita Pathania Poonam Suyal अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Navash2411