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भारतीय परंपरा
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 भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण  हैं।
भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म, इस्लाम धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।
सब राष्ट्रों का जन्म परम्परा से ही होता हैं, यह परम्परा ही सब जनों की रीढन की हड्डी हैं। यह परम्परा युगों कलों से चलती हैं आ रही हैं। कुछ परम्पराओं ने तो हमें बहुत कुछ सिखाया हैं परंतु कुछ परम्पराओं में सभय के अनुसार परिवर्तन किया गया।
यह सब हमारे वेद, कुरानो , गीता में भी बताया गया है।
परंतु आजकल भारतीय आपने इस स्वभाव को खोते जा रहे हैं, पहले 
1.'अतिथि देवो भव:' 
होता था , परंतु समय की व्यस्तता के कारण आजकल किसी अतिथि का बिन बताए घर में आना बोझा समझा जाता है। इसलिए उसका वैसा आदर सम्मान नहीं किया जाता जिसका वह हकदार होता है। इसी कारण भारतीय परंपरा संकट में है अपना वजूद धीरे-धीरे होता जा रहा है।
2. वसुधैव कुटुम्बकम्
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 भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण  हैं।
भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म, इस्लाम धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।
सब राष्ट्रों का जन्म परम्परा से ही होता हैं, यह परम्परा ही सब जनों की रीढन की हड्डी हैं। यह परम्परा युगों कलों से चलती हैं आ रही हैं। कुछ परम्पराओं ने तो हमें बहुत कुछ सिखाया हैं परंतु कुछ परम्पराओं में सभय के अनुसार परिवर्तन किया गया।
यह सब हमारे वेद, कुरानो , गीता में भी बताया गया है।
परंतु आजकल भारतीय आपने इस स्वभाव को खोते जा रहे हैं, पहले 
1.'अतिथि देवो भव:' 
होता था , परंतु समय की व्यस्तता के कारण आजकल किसी अतिथि का बिन बताए घर में आना बोझा समझा जाता है। इसलिए उसका वैसा आदर सम्मान नहीं किया जाता जिसका वह हकदार होता है। इसी कारण भारतीय परंपरा संकट में है अपना वजूद धीरे-धीरे होता जा रहा है।
2. वसुधैव कुटुम्बकम्
mrsrosysumbriade8729

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भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण  हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म, इस्लाम धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। सब राष्ट्रों का जन्म परम्परा से ही होता हैं, यह परम्परा ही सब जनों की रीढन की हड्डी हैं। यह परम्परा युगों कलों से चलती हैं आ रही हैं। कुछ परम्पराओं ने तो हमें बहुत कुछ सिखाया हैं परंतु कुछ परम्पराओं में सभय के अनुसार परिवर्तन किया गया। यह सब हमारे वेद, कुरानो , गीता में भी बताया गया है। परंतु आजकल भारतीय आपने इस स्वभाव को खोते जा रहे हैं, पहले 1.'अतिथि देवो भव:' होता था , परंतु समय की व्यस्तता के कारण आजकल किसी अतिथि का बिन बताए घर में आना बोझा समझा जाता है। इसलिए उसका वैसा आदर सम्मान नहीं किया जाता जिसका वह हकदार होता है। इसी कारण भारतीय परंपरा संकट में है अपना वजूद धीरे-धीरे होता जा रहा है। 2. वसुधैव कुटुम्बकम् #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc18