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ashutosh anjan

आओ कोई शाम गुज़ारें(ग़ज़ल)

चलो रुक जाते है अब हम अंजाम से पहले,
चलो आओ कोई शाम गुज़ारें शाम से पहले।

कोई बात करें तेरी तो आग लग जाया करती थी,
अब बात ही बदल देते है हम तेरे नाम से पहले।

वो फ़ोन पर घण्टों घण्टों तेरे संग बात करना,
बड़े ख़ूबसूरत पल बिताए है कोहराम से पहले।

भले लोग हमें आज डूबता हुआ आफ़ताब कहें,
हम बहुत कामयाब थे इश्क़ में नाक़ाम से पहले।

सरेआम तेरा ज़िक्र भी मुझें बर्दाश्त नही अंजान,
हमनें गुनाह कुबूल कर लिया  इल्ज़ाम से पहले। #कोराकाग़ज़
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ashutosh anjan

आज सुबह से निर्मल उदास था, आज कहाँ जाएगा नौकरी के लिए, घर में किसी को पता नहीं था की उसके नौकरी छूट गयी है। माता पिता की दवा लानी है आज और जेब पूरी खाली, अगर निर्मल अपने नौकरी छूटने की बात बता दे ,तो शायद घर में बीमारी और बढ़ जायेगी आखिर नयी चिंता का जन्म हो जाएगा...ये सोचते सोचते जाने कबतक वो सड़क के किनारे भ्रमित सा खडा रहा,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसके सामने ही एक वृद्ध व्यक्ति आया जिसकी आयु कोई 60-65 वर्ष रही होगी और एक कपड़ा बिछा कर सड़क पर बैठ गया बड़े से झोले में से आलू की सब्जी निकाली

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हिम्मत की मिसाल 
(लघुकथा)
अनुशीर्षक में👇 आज सुबह से निर्मल उदास था, आज कहाँ जाएगा नौकरी के लिए, घर में किसी को पता नहीं था की उसके नौकरी छूट गयी है।
माता पिता की दवा लानी है आज और जेब पूरी खाली, अगर निर्मल अपने नौकरी छूटने की बात बता दे ,तो शायद घर में बीमारी और बढ़ जायेगी 
आखिर नयी चिंता का जन्म हो जाएगा...ये सोचते सोचते जाने कबतक वो सड़क के किनारे भ्रमित सा खडा रहा,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
उसके सामने ही एक वृद्ध व्यक्ति आया जिसकी आयु कोई 60-65 वर्ष रही होगी और एक कपड़ा बिछा कर सड़क पर बैठ गया बड़े से झोले में से आलू की सब्जी निकाली

ashutosh anjan

अंजान  रास्तों  से  गुज़रना  पड़ता है,
अनचाहें पत्थरों से उलझना पड़ता है।
सफ़र कितने भी दुश्वारियों से भरा हो,
मंज़िल की ख़ातिर सँवरना  पड़ता है।
हवाओं  के  रुख  तो  बदलते रहते है,
घर के  पास ही एक  झरना पड़ता है।
इक उदास चाँद  उदास करती चाँदनी,
जब रात उदास हो तो डरना पड़ता है।
इनकार इक़रार मोहब्बत की  तलब है,
दुबारा जीने के ख़ातिर मरना पड़ता है। चाँद और चाँदनी(कविता)
#कोराकाग़ज़ 
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#विशेषप्रतियोगिता 
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ashutosh anjan

भारतीय संस्कृति व परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व परंपरा है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। यह माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रो

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भारतीय परंपरा (चिंतन)
अनुशीर्षक में पढ़े।👇 भारतीय संस्कृति व परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व परंपरा है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है।


भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। यह माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रो

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ Premium Challange-18 विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता) उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई। ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई। हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल। वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

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कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

देख के उसके चेहरे का नूर हम मोहित हो गए।
दिल, धड़कन, साँसों में भी एक खुमार आ गई।

चाँद और चाँदनी की बातें हम कभी करते थे।
आज खुद चाँदनी चलकर मेरे पास आ गई।

उसकी तारीफ़ के क़सीदे में क्या कह दें हम।
उसके आने से ही रौनक-ए-बहार आ गई। कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ Premium Challange-18 विषय 3 :- हिम्मत की मिसाल (लघुकथा) अपने हौसले से वो ज़िंदगी जीने की नई राह दिखाती है। कैसे जीतना है हमें कठिनाइयों से वो अक्सर सिखाती है। उसकी हौसला अफ़ज़ाई से हम हर जंग जीत जाते हैं। माँ की दुआ में वो असर है कि कायनात हिल जाती है।

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कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 3 :- हिम्मत की मिसाल (लघुकथा)

अपने हौसले से वो ज़िंदगी जीने की नई राह दिखाती है।
कैसे जीतना है हमें कठिनाइयों से वो अक्सर सिखाती है।

उसकी हौसला अफ़ज़ाई से हम हर जंग जीत जाते हैं।
माँ की दुआ में वो असर है कि कायनात हिल जाती है।

उसकी हिम्मत की मिसाल क्या दूँ वो कैसे समझाती है।
अपने बच्चों की परवरिश में वो हर दर्द सह जाती है।

साक्षात ईश्वर का है रूप, जो दुनिया में माँ कहलाती है।
अपनी तकलीफ़ों को भूलकर वो हर पल मुस्कुराती है।

माँ का दर्जा इस दुनिया में, है भगवान से भी बढ़कर।
इसलिए माँ सिर्फ माँ नहीं, हमारी देवी माँ कहलाती है। कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 3 :- हिम्मत की मिसाल (लघुकथा)

अपने हौसले से वो ज़िंदगी जीने की नई राह दिखाती है।
कैसे जीतना है हमें कठिनाइयों से वो अक्सर सिखाती है।

उसकी हौसला अफ़ज़ाई से हम हर जंग जीत जाते हैं।
माँ की दुआ में वो असर है कि कायनात हिल जाती है।

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ Premium Challange-18 विषय 2 :- भारतीय परंपरा (चिंतन) भारतीय परंपरा में, भारतीय संस्कृति एवं धर्म का बहुत महत्व है। भारत एक समृद्धशाली संस्कृति वाला देश है, यहाँ धर्म, कला, रीति-रिवाज का बौद्धिक महत्व अत्यधिक है। भारतीय संस्कृति लोगों के रीति-रिवाज, संस्कारों, आदर्शों, रहन-सहन, आदतों, विश्वास, ज्ञान से ही है। इसी कारण भारत को सबसे प्राचीन सभ्यता वाला देश कहा गया है, जहाँ लोग आज भी अपने रीति-रिवाजों, संस्कारों, आदर्शों एवं मानवता का पालन करते हैं। संस्कृति एक ऐसा माध्यम है, जिससे हम अपन

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कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 2 :- भारतीय परंपरा (चिंतन)

(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 2 :- भारतीय परंपरा (चिंतन)

भारतीय परंपरा में, भारतीय संस्कृति एवं धर्म का बहुत महत्व है। भारत एक समृद्धशाली संस्कृति वाला देश है, यहाँ धर्म, कला, रीति-रिवाज का बौद्धिक महत्व अत्यधिक है। भारतीय संस्कृति लोगों के रीति-रिवाज, संस्कारों, आदर्शों, रहन-सहन, आदतों, विश्वास, ज्ञान से ही है। इसी कारण भारत को सबसे प्राचीन सभ्यता वाला देश कहा गया है, जहाँ लोग आज भी अपने रीति-रिवाजों, संस्कारों, आदर्शों एवं मानवता का पालन करते हैं। संस्कृति एक ऐसा माध्यम है, जिससे हम अपन

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ Premium Challange-18 विषय 1 :- आओ कोई शाम गुज़ारें (ग़ज़ल) वजह क्या है नाराज़गी की मुझसे सनम, कुछ तो बोलो क्या कोई ख़ता कर गए हम। हमारी चाहत को थोड़ा वक़्त दें अब हम। आओ कोई शाम गुज़ारें साथ में हम।

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कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 1 :- आओ कोई शाम गुज़ारें (ग़ज़ल)

वजह क्या है नाराज़गी की मुझसे सनम,
कुछ तो बोलो क्या कोई ख़ता कर गए हम।
हमारी चाहत को थोड़ा वक़्त दें अब हम।
आओ कोई शाम गुज़ारें साथ में हम।

चलो एक दूसरे पे थोड़ा ऐतबार कर लें।
बातों-बातों में ही एक दूसरे से प्यार कर लें।
सुनो अपने मन में ना पालना कोई वहम।
आओ कोई शाम गुज़ारें साथ में हम।

फ़िकर तुमको भी अक्सर मेरी है रहती।
मगर तुम जाने मुझसे क्यों ना कहती।
इस फ़िकर में ही एकदूजे को जी लें हम।
आओ कोई शाम गुज़ारें साथ में हम।

इस दिल को कभी समझाना आसां नहीं।
चाहत की बातों से बहकाना आसां नहीं।
चाहत की बातें चलो साथ बताएं हम।
आओ कोई शाम गुज़ारें साथ में हम। कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 1 :- आओ कोई शाम गुज़ारें (ग़ज़ल)

वजह क्या है नाराज़गी की मुझसे सनम,
कुछ तो बोलो क्या कोई ख़ता कर गए हम।
हमारी चाहत को थोड़ा वक़्त दें अब हम।
आओ कोई शाम गुज़ारें साथ में हम।

DR. SANJU TRIPATHI

चांँद और चांँदनी (कविता)

पूनम के चांँद से भी प्यारा एक चांँद है, जो हरदम ही मेरे पास है। 
पूनम का चांँद दुनियां के लिए है पर, मेरा चांँद मेरे लिए खास है।
 
चांँद करता है दुनियांँ को रोशन, मेरा चांँद मेरे जीवन की रोशनी है।
पूनम का चांँद दिखता कभी-कभी, मेरा चांँद हरदम मेरे सामने है। 

चांँद कभी ईद, कभी पूनम, कभी करवा चौथ का बन जाता हैं 
मेरा चांँद बस मेरा ही है और मेरे ही दिल को धड़काता रहता है।

पूनम का चांँद किसी को शीतलता, किसी को व्याकुलता देता है।
मेरा चांँद हमेशा मेरे करीब, मेरे दिल को ठंडक पहुंँचाता रहता है।

मेरा चांँद कभी आफताब तो, कभी मेरे लिए माहताब बन जाता है।
पूनम के चांँद के नखरे हजार मेरा चांँद सीधा साधा और मेरा प्यार है।

मेरा चांँद जब सजता है, पूनम का चांँद भी फीका लगने लगता है।
ओढ़ता है जब सितारों की चुनरियाँ और भी खूबसूरत लगने लगता है।

खुदा सलामत रखे सदा हमें, हमारे प्यारे चाँद को हर बुरी नजर से हरदम।
चांँद और चांँदनी जैसा है साथ हमारा,यूंँ ही हर जन्म तुम बनो मेरे सनम।
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#विशेष प्रतियोगिता

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लघु कथा के पात्र का विवरण साक्षी: नायिका (अपाहिज लड़की) सुषमा: सहेली राजू: साक्षी के पिताजी बंटी: साक्षी का छोटा भाई सरोज: साक्षी के माताजी कपिल: स्कूल के मास्टर जी सहभागी

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हिम्मत की मिसाल (लघु कथा)

अनुशीर्षक में पड़े
👇👇👇👇👇👇👇 लघु कथा के पात्र का विवरण
साक्षी: नायिका (अपाहिज लड़की)
सुषमा: सहेली
राजू: साक्षी के पिताजी
बंटी: साक्षी का छोटा भाई
सरोज: साक्षी के माताजी
कपिल: स्कूल के मास्टर जी
सहभागी
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