मेरे हुजरे में अंधेरो के सिवा कुछ भी नही तेरी यादों का सहारा है पास और कुछ भी नही तेरी निशानी फ़क़त पास मेरे इतनी है खयाल, ख़्वाब और बातो के सिवा कुछ भी नही नुज़ुमी ढूंढने लगा मेरे हाथों में मुक़द्दर और मेरे हाथों में लकीरो के सिवा कुछ भी नही तेरे करम से मुझे तन्हाईयाँ नसीब हुई अब मेरे घर मे आइनों के सिवा कुछ भी नही तू साया बनके मेरे साथ अगर चलने लगे तो राह ए इश्क़ में फिर इम्तहान कुछ भी नही कितना कुछ लिख दिया तूने "गुलाम" उसके लिए हा मगर मेरे उसके दरमियान कुछ भी नही ~ गुलाम फखर ©Gulam Fakhar #शायरी #गज़ल #गजल #अंधेरे #याद #निशानी #मोहब्बत #ईश्क #तन्हाई #ख्वाब