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मैं कभी कभी सोचती हूँ कि जिन देवियों की हमारे देश

मैं कभी कभी सोचती हूँ कि जिन देवियों की हमारे देश में पूजा की जाती है वे अग़र आज होतीं तो किस रूप में हमारे सामने आतीं? उनका आधुनिक स्वरूप कैसा होता? वो किस तरह का जीवन जी रही होतीं? जब मैं इस बारे में सोचती हूँ तो मेरी कल्पनाशक्ति उन्हें कुछ इस तरह से देखती है: मैं कभी कभी सोचती हूँ कि जिन देवियों की हमारे देश में पूजा की जाती है वे अग़र आज होतीं तो किस रूप में हमारे सामने आतीं? उनका आधुनिक स्वरूप कैसा होता? वो किस तरह का जीवन जी रही होतीं? जब मैं इस बारे में सोचती हूँ तो मेरी कल्पनाशक्ति उन्हें कुछ इस तरह से देखती है:

दुर्गा: दुर्गा सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुटी हुई है। उसका सपना आईपीएस बनकर पुलिस सेवा को जेंडर सेंसिटिव बनाना है। एक मिलेनियल फेमिनिस्ट होने के नाते वो अपने कैरियर को लेकर काफ़ी संजीदा है। यूँ तो अहिंसा में उसका पूरा पूरा भरोसा है लेकिन अखबारों में छेड़छाड़, मोलेस्टेशन और बलात्कार की घटनाएं पढ़ पढ़ कर उसका मन इन अपराधों से सीधा निपटने का है। जरूरत पड़ेगी तो अपराधी पे अपना डंडा चलाने से वो कभी बाज़ नहीं आयेगी। आजकल तो वो खासतौर पे बहुत गुस्से में है। मीटू की ख़बरों को रोज़ाना पढ़ती है और सोशल मीडिया पे रोजाना किसी सेक्सिस्ट ट्रोलर से भिड़ जाती है।

सरस्वती: एक डेली न्यूजपेपर की सबसे जानी मानी पत्रकार है। सत्ता में कोई भी बैठा हो, उसकी कलम किसी से भी सवाल करना नहीं भूलती। उसे आये दिन डेथ और रेप थ्रेटस मिलते रहते हैं। इसके बारे में वो अक्सर लेख वग़ैरह भी लिखा करती है। मीटू आंदोलन चलाने में उसका बहुत बड़ा हाथ है। सबसे पहले उसने ही अपने पिता के हाथों बचपन में एब्यूज होने की कहानी शेयर की थी, उसके बाद से तो सिलसिला ही निकल पड़ा था। शूपर्णखा, द्रौपदी, अम्बालिका जैसी औरतों ने अपनी अपनी कहानियाँ बताईं। लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब अहिल्या ने अपनी मीटू कहानी शेयर की। लेकिन आरोपी सरकार में बैठा मंत्री है इसलिये उसपे अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अलबत्ता उसपे डेफेमेशन का मुक़दमा दायर किया गया है। लेकिन सरस्वती समेत काफ़ी औरतें उसके सपोर्ट में है।

पार्वती: वो एक हाउसवाइफ है। उसकी बेहद कम उम्र में उसके माँ बाप ने शादी कर दी थी। वो खुद भी ऐसे माहौल में पली बढ़ी थी कि शादी और बच्चों के अलावा उसे अपनी जिंदगी का कोई और मक़सद नज़र नहीं आता था। लेकिन उसके पति ने उससे कहा कि शिक्षा केवल नौकरी करने के लिए ही नहीं बल्कि चरित्र निर्माण करने के लिए भी जरूरी है। सो शादी के बाद ही उसकी आगे की शिक्षा पूरी हुई। अब वो अपने दोनों बेटों को ऐसी परवरिश देने में जुटी है जिससे वे कल को फेमिनिस्ट युवा बन सके। उसके पति भी इस बात का पूरा पूरा ख्याल रखते हैं कि वे अपने बेटों के सामने सही उदाहरण पेश कर सकें। इसके अलावा फुर्सत में वो मोहल्ले की ग़रीब बच्चियों को मुफ़्त ट्यूशन दिया करती है।
मैं कभी कभी सोचती हूँ कि जिन देवियों की हमारे देश में पूजा की जाती है वे अग़र आज होतीं तो किस रूप में हमारे सामने आतीं? उनका आधुनिक स्वरूप कैसा होता? वो किस तरह का जीवन जी रही होतीं? जब मैं इस बारे में सोचती हूँ तो मेरी कल्पनाशक्ति उन्हें कुछ इस तरह से देखती है: मैं कभी कभी सोचती हूँ कि जिन देवियों की हमारे देश में पूजा की जाती है वे अग़र आज होतीं तो किस रूप में हमारे सामने आतीं? उनका आधुनिक स्वरूप कैसा होता? वो किस तरह का जीवन जी रही होतीं? जब मैं इस बारे में सोचती हूँ तो मेरी कल्पनाशक्ति उन्हें कुछ इस तरह से देखती है:

दुर्गा: दुर्गा सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुटी हुई है। उसका सपना आईपीएस बनकर पुलिस सेवा को जेंडर सेंसिटिव बनाना है। एक मिलेनियल फेमिनिस्ट होने के नाते वो अपने कैरियर को लेकर काफ़ी संजीदा है। यूँ तो अहिंसा में उसका पूरा पूरा भरोसा है लेकिन अखबारों में छेड़छाड़, मोलेस्टेशन और बलात्कार की घटनाएं पढ़ पढ़ कर उसका मन इन अपराधों से सीधा निपटने का है। जरूरत पड़ेगी तो अपराधी पे अपना डंडा चलाने से वो कभी बाज़ नहीं आयेगी। आजकल तो वो खासतौर पे बहुत गुस्से में है। मीटू की ख़बरों को रोज़ाना पढ़ती है और सोशल मीडिया पे रोजाना किसी सेक्सिस्ट ट्रोलर से भिड़ जाती है।

सरस्वती: एक डेली न्यूजपेपर की सबसे जानी मानी पत्रकार है। सत्ता में कोई भी बैठा हो, उसकी कलम किसी से भी सवाल करना नहीं भूलती। उसे आये दिन डेथ और रेप थ्रेटस मिलते रहते हैं। इसके बारे में वो अक्सर लेख वग़ैरह भी लिखा करती है। मीटू आंदोलन चलाने में उसका बहुत बड़ा हाथ है। सबसे पहले उसने ही अपने पिता के हाथों बचपन में एब्यूज होने की कहानी शेयर की थी, उसके बाद से तो सिलसिला ही निकल पड़ा था। शूपर्णखा, द्रौपदी, अम्बालिका जैसी औरतों ने अपनी अपनी कहानियाँ बताईं। लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब अहिल्या ने अपनी मीटू कहानी शेयर की। लेकिन आरोपी सरकार में बैठा मंत्री है इसलिये उसपे अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अलबत्ता उसपे डेफेमेशन का मुक़दमा दायर किया गया है। लेकिन सरस्वती समेत काफ़ी औरतें उसके सपोर्ट में है।

पार्वती: वो एक हाउसवाइफ है। उसकी बेहद कम उम्र में उसके माँ बाप ने शादी कर दी थी। वो खुद भी ऐसे माहौल में पली बढ़ी थी कि शादी और बच्चों के अलावा उसे अपनी जिंदगी का कोई और मक़सद नज़र नहीं आता था। लेकिन उसके पति ने उससे कहा कि शिक्षा केवल नौकरी करने के लिए ही नहीं बल्कि चरित्र निर्माण करने के लिए भी जरूरी है। सो शादी के बाद ही उसकी आगे की शिक्षा पूरी हुई। अब वो अपने दोनों बेटों को ऐसी परवरिश देने में जुटी है जिससे वे कल को फेमिनिस्ट युवा बन सके। उसके पति भी इस बात का पूरा पूरा ख्याल रखते हैं कि वे अपने बेटों के सामने सही उदाहरण पेश कर सकें। इसके अलावा फुर्सत में वो मोहल्ले की ग़रीब बच्चियों को मुफ़्त ट्यूशन दिया करती है।
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