सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही। विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत, तेरा आँगन से उसे जाना था। ... ©अबोध_मन//फरीदा #पंख #अबोध_मन #nojotoहिन्दी #मुक्तक💝 #अबोध_poetry