"पैग़ाम-ए-मोहब्बत" पैग़ाम-ए-मोहब्बत फ़ैलाने निकला हूंँ, मेरे शब्दों से आज हर एक दिल में, के ना खेलना कभी किसी दिल से अपनी खुशी के लिए, करनी है मोहब्बत तो करना एक सच्चे जज़्बात के साथ। इज्ज़त करना उस शख़्स की के, जिसने तुझ पर विश्वास करके तुझे अपनाया, कभी देना ना दगा उसको, चाहे मिले तुझे कोई उससे भी ज्यादा खूबसूरत। पैग़ाम-ए-मोहब्बत फ़ैलाने निकला हूंँ, मेरे शब्दों से भाईचारे का आज समाज में, के आपसी अहंकार को मिटाके, सदा रहो घुल मिल के इस आसमान के नीचे। खाली हाथ आए थे खाली हाथ ही जाएंगे, तो फिर क्यू गुरूर करना यहांँ पैसों का, आखिर में तो तुझे एक इंसान ही, काम आएगा चिता तक पहुंचने के लिए। पैग़ाम-ए-मोहब्बत लिख रहा हूँ आज दुनिया के नाम, अगर एक भी इंसान इसे पढ़कर समझ गया, कि सही मायने में मोहब्बत क्या है तो, मेरी लेखनी सार्थक हुई ऐसा मानूंगा। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-27 29/04/2022 #kkrपैग़ामएमोहब्बत #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ानकोराकाग़ज़ #kkr2022 #कोराकाग़ज़ #kkrnitesh