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जला दिया है प्रेम दीया पलको की बाड़ के पीछे ठहरा ह

जला दिया है
प्रेम दीया
पलको की बाड़ के
पीछे ठहरा हुआ
जो अंधेरों का शहर 
था.. जिनमें आन
बसे थे इक रोज़
तुम बिना इजाज़त..
जानते हो..
लिपट रोया था
वो शहर तमस
की बाँहों में
जब तुमने उसे
छोड़ा था..
बिना कोई वजह
दिए..गलत है
न जो आपको
आबाद करे..
उसे यूँ उजाड़ देना..
ख़ैर..वक्त था बीत 
गया..आज वो शहर
फिर जगमग है..
स्थापित किया है
मन मंदिर से उठा
कर ’प्रेम दीया’.!

©अबोध_मन//फरीदा जला दिया है
प्रेम दीया
पलको की बाड़ के
पीछे ठहरा हुआ
जो अंधेरों का शहर 
था.. जिनमें आन
बसे थे इक रोज़
तुम बिना इजाज़त..
जला दिया है
प्रेम दीया
पलको की बाड़ के
पीछे ठहरा हुआ
जो अंधेरों का शहर 
था.. जिनमें आन
बसे थे इक रोज़
तुम बिना इजाज़त..
जानते हो..
लिपट रोया था
वो शहर तमस
की बाँहों में
जब तुमने उसे
छोड़ा था..
बिना कोई वजह
दिए..गलत है
न जो आपको
आबाद करे..
उसे यूँ उजाड़ देना..
ख़ैर..वक्त था बीत 
गया..आज वो शहर
फिर जगमग है..
स्थापित किया है
मन मंदिर से उठा
कर ’प्रेम दीया’.!

©अबोध_मन//फरीदा जला दिया है
प्रेम दीया
पलको की बाड़ के
पीछे ठहरा हुआ
जो अंधेरों का शहर 
था.. जिनमें आन
बसे थे इक रोज़
तुम बिना इजाज़त..

जला दिया है प्रेम दीया पलको की बाड़ के पीछे ठहरा हुआ जो अंधेरों का शहर था.. जिनमें आन बसे थे इक रोज़ तुम बिना इजाज़त.. #Love #अबोध_मन #प्रेम_अर्पण #अबोध_poetry #अबोध_अपराधबोध #अबोध_चिंतन #प्रेम_दीया