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चल अनिल! थोड़ा-सा बाजार में नफ़रत! का व्यापार भी क

चल अनिल! थोड़ा-सा बाजार में 
नफ़रत! का व्यापार भी कर जाये 
हम कहाँ सीख पाये दलीलों से कभी... 

बस! इस जहां में सिर्फ 'मैं' ही रहूँ
न ही और भी कोई अधिशेष रहे 
 एक बस! यही तो सोच भारी है अभी... 

शायद! राम-रावण भी उस स्वर्ग में 
अब एक साथ चौसर खेलते होगें 
नाम उनके अनेक युद्ध बाकि है अभी...

वापस लौटकर आना ही होगा तुम्हें 
ज़ख्म सह लेने के बाद यकीनन यारों 
 परस्पर विचार मिलना बाकि है अभी...

ज़ख्म खाकर, टूटकर यह जिस्म तेरा
तड़प, जलन, दुःख सिखाएंगे तुमको
 इंसां ही हो पर इंसानियत बाकि है अभी...

'लक्ष्मी' देकर भी 'लक्ष्मी' को खरीदना
फिर उसी लक्ष्मी-मूर्ति से लक्ष्मी मांगना 
 इसे क्या कहेंगे विचार करना यारों कभी...

©Anil Ray
  📢 सावधान निकट भविष्य में चुनाव है 📢

प्रिय मित्रों!
        ❤️ सप्रेम नमस्कार 🙏🏻

"चोर चोर मौसेरे भाई" संवैधानिक मंदिर संसद के सदस्यों का हाल ऐसा ही है। यहाँ विरोधी भी परस्पर पर्दे के पीछे मिले हुए है बस रंगमंच पर हमें भिन्न-भिन्न दिखाई देते हैं। इसलिए इनको लेकर आपसी सम्बन्धों और रिश्तों को धूमिल कर मटियामेट नही करे, यही समझदारी है।

रही बात चुनाव की तो जनता को लगता है वह अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है परन्तु दोस्तों सच तो यह है दस-बारह बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिस खिलौने में चाबी भर देती है बस वह खिलौना मार्केट में चल पड़ता है। डिजिटल इण्डिया में असम्भव भी संभव है हालांकि आम जनता को यह देर से समझ आयेगा। स्वविवेक से अपने संवैधानिक अधिकार "मताधिकार" का प्रयोग अत्यावश्यक रूप से करे लेकिन दलभक्ति या दलों को लेकर आपस में नही टकराये। यही भविष्य के लिए लाभदायक होगा।
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator

📢 सावधान निकट भविष्य में चुनाव है 📢 प्रिय मित्रों! ❤️ सप्रेम नमस्कार 🙏🏻 "चोर चोर मौसेरे भाई" संवैधानिक मंदिर संसद के सदस्यों का हाल ऐसा ही है। यहाँ विरोधी भी परस्पर पर्दे के पीछे मिले हुए है बस रंगमंच पर हमें भिन्न-भिन्न दिखाई देते हैं। इसलिए इनको लेकर आपसी सम्बन्धों और रिश्तों को धूमिल कर मटियामेट नही करे, यही समझदारी है। रही बात चुनाव की तो जनता को लगता है वह अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है परन्तु दोस्तों सच तो यह है दस-बारह बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिस खिलौने में चाबी भर देती है बस वह खिलौना मार्केट में चल पड़ता है। डिजिटल इण्डिया में असम्भव भी संभव है हालांकि आम जनता को यह देर से समझ आयेगा। स्वविवेक से अपने संवैधानिक अधिकार "मताधिकार" का प्रयोग अत्यावश्यक रूप से करे लेकिन दलभक्ति या दलों को लेकर आपस में नही टकराये। यही भविष्य के लिए लाभदायक होगा। #कविता #nojotohindi #hatred #election #public #democracy #dangerous #humunity #Anil_Kalam #Anil_Ray

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