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“प्रेम” का कोई निश्चित ऋतुचक्र नहीं होता! तात्पर

“प्रेम”
 का कोई निश्चित 
ऋतुचक्र नहीं होता!
तात्पर्य
यह है कि
“प्रेम”
की बरखा हो
बसंत हो या पतझड़
सब अनिश्चित,व्यक्तिगत,
निज का होता है।

©Anita Saini #ज़िन्दगी #मैं #शायरी #कविता #Hindi 
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