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खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य

खाने को घर में खाद्य नहीं, 
संग रहना उनको त्याज्य नहीं।
आराध्य था उनका जो कल तक, 
अब उनका वो आराध्य नहीं।
मर जायेंगे-मिट जाएंगे, 
पर घर रहना स्वीकार्य नहीं।
ले लो विदा अब चलो पार्थ, 
पै लगना अब अनिवार्य नहीं।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य नहीं।
आराध्य था उनका जो कल तक, अब उनका वो आराध्य नहीं।
मर जायेंगे-मिट जाएंगे, पर घर रहना स्वीकार्य नहीं।
ले लो विदा अब चलो पार्थ, पै लगना अब अनिवार्य नहीं।
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खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य नहीं। आराध्य था उनका जो कल तक, अब उनका वो आराध्य नहीं। मर जायेंगे-मिट जाएंगे, पर घर रहना स्वीकार्य नहीं। ले लो विदा अब चलो पार्थ, पै लगना अब अनिवार्य नहीं। #Hindi #hindi_poetry #hindipoetry #hindisahityasagar #poetshailendra #poem #कविता

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