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रात गहरी है, और अंधेरा चढ़ता जा रहा है क्या होगा भव

रात गहरी है,
और अंधेरा चढ़ता जा रहा है
क्या होगा भविष्य हमारा
सोचकर ही डर बढ़ता जा रहा है

पर उम्मीद ही तो
 इंसान को चलना सिखाती है,
 हो चाहे हालात अभी जटिल पर,
एक आस ही बस
 उसे सम्भलना सिखाती है

रख धीरज तू, थोड़ासा खुद पर,
मासूम इबादत भी अब रंग लाएंगी
मिटेगी मुश्किले जीवन की और
खुशियां सारी ,तेरी झोली में भर जाएंगी...

©कृतान्त अनन्त नीरज...
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