तुम एक-बार तो मुझसे, मुलाक़ात करलो। मेरे पास आओ और कुछ देर बात करलो। धूप चलने को तैयार शाम ढलने तैयार है ! सुब्ह का मख़मली सा प्यार साथ करलो । मीलों की दूरियाँ तय करके आया हूँ यहाँ। घर की दहलीज़ पर कहीं तुम रात करलो। कुछ देर के लिए चौक चौबारे से छुट्टी लो! या फ़िर घूस दे उनको अपने साथ करलो। मुट्टू' मैं तो बस एक रात का मुसाफ़िर हूँ! तुम चाहो तो इस रात को सौगात करलो। ♥️ तुम एक-बार तो मुझसे, मुलाक़ात करलो। मेरे पास आओ और कुछ देर बात करलो। धूप चलने को तैयार शाम ढलने तैयार है ! सुब्ह का मख़मली सा प्यार साथ करलो ।