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Poonam Suyal
एक रात का मुसाफ़िर था वो जाने कब आया और कब चला गया कर गया हमको वो इस कदर बेचैन हमको वो दर्द-ए-दिल दे गया कुछ ही लम्हात जो हमने बिताए उसके साथ एक मीठी सी याद वो दे गया नहीं भूल पाए हम उसको अब तक ताउम्र कचोटने वाला हमको ग़म दे गया ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Nitesh Prajapati
एक रात का मुसाफ़िर, तन्हा चला हमेंशा अंधेरे में, नई सुबह की खोज में, नये मंज़र की तलाश में। एक रात का मुसाफ़िर, कुछ यूँ भटका अपनी राहों से, के इन अमावस की रातों में, उसे कहीं अपनी पूनम का चाँद ना मिला। इस तन्हाइयां भरी रातों में होते हैं तो, चंद लम्हें ही लेकिन एक दिल के मरीज को, अपने दर्द के साथ यही लम्हें काटना, लगता है जैसे सदियों जैसा। ये नादान परिंदा कभी उड़ता था, आज़ादी से इन खुले आसमान में, लेकिन किसी ने उसकी खुशी के पंख यूँ काटे के, इस मुसाफ़िर को फिर कभी खुशियों का आलम ना मिला। -Nitesh Prajapati ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
nvn ki dairy
एक रात का मुसाफ़िर बना गया कोई भूले बिसरे चित्र, क्यूं दिखा गया कोई। लौट के आयेंगे नही, वो दिन, वो रातें दिल धुआँ–धुआँ, आग जला गया कोई। दिल धड़कता, साँसें चलती, रुक रुक कर न जाने,सीने पर खंजर चला गया कोई। तेरे नाम छलकते जाम की मदहोशी में न जाने, विष का प्याला पिला गया कोई। मातम छाया है, मेरी मौत का शहर में न जाने कब्र पर गुलाब चढ़ा गया कोई। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Anita Saini
हसीं रात का ख़्वाब था जो सुब्ह नदारद गैर हाज़िर था दिल मा'सूमियत पर मरा और वो शख़्स बेहद शातिर था! इस क़दर लुटा दिल वही लुटेरा बन बैठा जो आजिर था। आँगन की रौनक था आज अपने ही घर में मुहाजिर था! जिसे हमसफ़र समझा था एक रात का मुसाफ़िर था मोमिन समझा था अपना वो दग़ाबाज़ था काफ़िर था! अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत, हाँ, होश ठिकाने आने से तक वही हाजिर-नाजिर था। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Divyanshu Pathak
तुम एक-बार तो मुझसे, मुलाक़ात करलो। मेरे पास आओ और कुछ देर बात करलो। धूप चलने को तैयार शाम ढलने तैयार है ! सुब्ह का मख़मली सा प्यार साथ करलो । मीलों की दूरियाँ तय करके आया हूँ यहाँ। घर की दहलीज़ पर कहीं तुम रात करलो। कुछ देर के लिए चौक चौबारे से छुट्टी लो! या फ़िर घूस दे उनको अपने साथ करलो। मुट्टू' मैं तो बस एक रात का मुसाफ़िर हूँ! तुम चाहो तो इस रात को सौगात करलो। ♥️ तुम एक-बार तो मुझसे, मुलाक़ात करलो। मेरे पास आओ और कुछ देर बात करलो। धूप चलने को तैयार शाम ढलने तैयार है ! सुब्ह का मख़मली सा प्यार साथ करलो ।
Tarot Card Reader Neha Mathur
तेरी गलियों में भटकता है एक रात का मुसाफ़िर अनजान बन सब सहता है एक रात का मुसाफ़िर जानता है तेरे सिवा न किसी और को ज़माने में बेक़रार निगाहों से तलाशता है एक रात का मुसाफ़िर अफ़साने हैं उसके दामन में बहुत अतरंगी से तेरी गलियों में गुनगुनाता है एक रात का मुसाफ़िर मासूम सा ता उम्र वादा निभाने को तेरे साथ का हर रात तेरे दर पे बिताता है एक रात का मुसाफ़िर कोई जान पहचान नहीं उसकी, न ज़ात उसकी बस दिवाना तेरा कहलाता है एक रात का मुसाफ़िर। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Shravan Goud
बस गया मेरे मन में। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
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आवरा पंरिदा सा भटक रहा अमानुष मन मानुष का, करने हासिल संघर्ष-पथ पर तन्हा ही चल पड़ा उज्जवल भविष्य की ओर अमानुष मन मानुष का, कुछ बोझिलता की अवस्था से झूंझता सा वो निश्छलता से अलंकृत अमानुष मन मानुष का, शांत मन से परिस्थिति की विकटता को समझने की कोशिश करता वो अमानुष मन मानुष का, स्वंय पर विश्वास की अटूटता की कमियों को दूर करने का प्रयास करता वो अमानुष मन मानुष का, वो भटकाव के गर्त में घिरता विचारों की रात की राहों में भटकता वो एक मुसाफ़िर सा अमानुष मन मानुष का, मानुष का अर्थ =मनुष्य अमानुष का अर्थ =अमानवीय व्यवहार ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।
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