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मैं हूँ तक़दीर की स्याही, मैं लोगों के कोरे किस्

मैं हूँ तक़दीर  की स्याही, मैं लोगों के  कोरे किस्मत‌  को रचता हूँ,
मैं किस्मत  बनाता, बिगाड़ता तो  कभी कभी  रचने से  बचता हूँ।
मैं काली  स्याही से  तक़दीर को  बिगाड़ता, रंगीन से  संवारता हूँ,
मैं राजा को रंक बनाता तो कभी रंक के सिर राजमुकुट धरता हूँ।
 
 #तक़दीर_की_स्याही_team_alfaz 
#newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

  *तक़दीर की स्याही*
मैं हूँ तक़दीर  की स्याही, मैं लोगों के  कोरे किस्मत‌  को रचता हूँ,
मैं किस्मत  बनाता, बिगाड़ता तो  कभी कभी  रचने से  बचता हूँ।
मैं काली  स्याही से  तक़दीर को  बिगाड़ता, रंगीन से  संवारता हूँ,
मैं राजा को रंक बनाता तो कभी रंक के सिर राजमुकुट धरता हूँ।
 
 #तक़दीर_की_स्याही_team_alfaz 
#newchallenge

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  *तक़दीर की स्याही*

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