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थाम लो हमें तुम ,एक सहारे की दरकार है, तू ही तो दु

थाम लो हमें तुम ,एक सहारे की दरकार है,
तू ही तो दुआ है मेरी ,तू ही मेरी अलबेली सरकार है,
तूने ही जलाई है अँधेरों में एक लौ उम्मीद की ,
तूने ही दिया है सहारे ,तूने ही किया हर स्वप्न साकार है,
मेरी नींदे भी तुमसे है ,तुमसे ही चैन-ओ-सुकून है,
तुझे पाने की ज़िद है ,तू ही तो मेरा जुनून है,
हाथ थाम कर मेरा ओ कान्हा ,ले चल गोकुल नगरी में,
ढूँढेंगे अपना सुकून वहीं  ,  माखन मिश्री में,
यमुना के तट पर वहीं ,रास रचाया करना 
बंसी की मधुर तान से ,मुझे तुम रिझाया करना,
तुम्ही मेरी पहली उम्मीद ,और आख़िरी सहारा हो,
तुम्ही मेरी मंजिल का  ,आखिरी किनारा हो ।।
                                                       पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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