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"मन के हारे हार है मन के जीते जीत" मनुज हो सामर्थ

"मन के हारे हार है मन के जीते जीत"

मनुज हो सामर्थ्यवान हो..सहायता के लिए आगे बढ़ो...

 यही उक्ति राजू के जीवन से जुड़ी हुई थी । तो कहानी शुरू होती है राजू के सामान्य परिचय से

 राजू एक गरीब परिवार का बहुत..................... #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc18 #हिम्मतकीमिसाल #हिम्मत 

           राजू एक गरीब परिवार बहुत होनहार और अच्छा लड़का था। वह दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था। बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का था। नई चीजों को जानना और समझना उसे अच्छा लगता था । अपने सभी गुरुजनों और बड़ों का आदर सम्मान करता था । जो भी असहाय व्यक्ति जिस्को मदद की आवश्यकता हो तो  उसकी सहायता वो अवश्य करता था । 
           दुर्घटनावश उसने अपना एक पैर गवा दिया । फिर भी वह अपने इस जीवन से निराश नहीं हुआ और दूसरों की मदद करने की आदत है उसकी पहले जैसी ही रहीं।  जहाँ कोई सहायता के लिए बुलाता या फिर वह अनुभव करता किसी को सहायता की आवश्यकता है तो उसकी मदद करने पहुँच जाता था ।
           नगर में एक विशाल उत्सव का आयोजन किया जा रहा था  । उसमें बहुत से कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले थे। आयोजन बहुत बड़े स्तर पर था। आसपास के सभी नगरों से लोग देखने आने वाले थे। राजू भी उस उत्सव को देखने के लिए अति उत्साहित था। ठीक 2 दिन बाद उत्सव का आयोजन शुरू हुआ । अनेक लोग उत्सव देखने के लिए आए हुए थे । काफी भीड़भाड़ थी,  राजू भी उत्सव देखने के लिए आया था। उत्सव का कार्यक्रम अच्छे से चल रहा था कि अचानक से आग की लपटों ने उत्सव पांडाल को अपनी गिरफ्त में ले लिया । यह देख अफरा-तफरी मच गई, लोग इधर से उधर भागने लगे। राजू को भी कुछ समझ नहीं आया।अपने अच्छे स्वभाव के कारण वह लोगों की मदद करने के लिए आगे बढ़ा । राजू के मन में भी एक की आशंका थी , मैं विकलांग हूँ मैं कैसे किसी की सहायता कर पाऊँगा ?  कहते हैं मन में अगर हमने सोच लिया है कि हम यह कार्य कर सकते हैं तुम हमारे लिए संभव नहीं रहता। राजू ने अपने मन को दृढ़ किया ।
           उसने सबसे पहले फायर स्टेशन पर दूरभाष से घटना की जानकारी उन्हें दी और तुरंत आने को कहां। फिर वह लोगों की मदद करने के लिए गया, एक वृद्ध आदमी जो भीड़ की वजह से जमीन पर लेटा हुआ था आग उसकी तरफ बढ़ रही थीं । "भीड़ में कोई किसी के बारे में ध्यान नहीं रखता सब अपनी जान को बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ते हैं",  राजू उस वृद्ध व्यक्ति के पास जैसे-जैसे पहुँचा और उसे बचाने के लिए सोचने लगा।  आग की लपटें बहुत तेज हो गई थी धीरे-धीरे राजू भी आग की गिरफ्त में आने लगा था, राजू ने धैर्य और साहस से काम लिया जैसे जैसे लड़का था वह उस विद को खींचकर आप दूर ले आया। इस दौरान राजू का हाथ आग में झुलस गया। पर उसने उस वृद्ध की सहायता की और उसे अस्पताल पहुंचाने में मदद करीं ।
           एक पैर से विकलांग राजू सिर्फ शारीरिक तौर पर विकलांग था , मन से वह बहुत साहसी था। उसने उस वृद्धि के साथ कहीं लोगों की जान बचाई और सहायता की। पूरे नगर में राजू की बहादुर के चर्चे होने लगे सब राजू की हिम्मत की मिसाल देंगे विद्यालय में गणतंत्र दिवस के पर्व पर राजू को पुरस्कृत भी किया गया ।
"मन के हारे हार है मन के जीते जीत"

मनुज हो सामर्थ्यवान हो..सहायता के लिए आगे बढ़ो...

 यही उक्ति राजू के जीवन से जुड़ी हुई थी । तो कहानी शुरू होती है राजू के सामान्य परिचय से

 राजू एक गरीब परिवार का बहुत..................... #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc18 #हिम्मतकीमिसाल #हिम्मत 

           राजू एक गरीब परिवार बहुत होनहार और अच्छा लड़का था। वह दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था। बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का था। नई चीजों को जानना और समझना उसे अच्छा लगता था । अपने सभी गुरुजनों और बड़ों का आदर सम्मान करता था । जो भी असहाय व्यक्ति जिस्को मदद की आवश्यकता हो तो  उसकी सहायता वो अवश्य करता था । 
           दुर्घटनावश उसने अपना एक पैर गवा दिया । फिर भी वह अपने इस जीवन से निराश नहीं हुआ और दूसरों की मदद करने की आदत है उसकी पहले जैसी ही रहीं।  जहाँ कोई सहायता के लिए बुलाता या फिर वह अनुभव करता किसी को सहायता की आवश्यकता है तो उसकी मदद करने पहुँच जाता था ।
           नगर में एक विशाल उत्सव का आयोजन किया जा रहा था  । उसमें बहुत से कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले थे। आयोजन बहुत बड़े स्तर पर था। आसपास के सभी नगरों से लोग देखने आने वाले थे। राजू भी उस उत्सव को देखने के लिए अति उत्साहित था। ठीक 2 दिन बाद उत्सव का आयोजन शुरू हुआ । अनेक लोग उत्सव देखने के लिए आए हुए थे । काफी भीड़भाड़ थी,  राजू भी उत्सव देखने के लिए आया था। उत्सव का कार्यक्रम अच्छे से चल रहा था कि अचानक से आग की लपटों ने उत्सव पांडाल को अपनी गिरफ्त में ले लिया । यह देख अफरा-तफरी मच गई, लोग इधर से उधर भागने लगे। राजू को भी कुछ समझ नहीं आया।अपने अच्छे स्वभाव के कारण वह लोगों की मदद करने के लिए आगे बढ़ा । राजू के मन में भी एक की आशंका थी , मैं विकलांग हूँ मैं कैसे किसी की सहायता कर पाऊँगा ?  कहते हैं मन में अगर हमने सोच लिया है कि हम यह कार्य कर सकते हैं तुम हमारे लिए संभव नहीं रहता। राजू ने अपने मन को दृढ़ किया ।
           उसने सबसे पहले फायर स्टेशन पर दूरभाष से घटना की जानकारी उन्हें दी और तुरंत आने को कहां। फिर वह लोगों की मदद करने के लिए गया, एक वृद्ध आदमी जो भीड़ की वजह से जमीन पर लेटा हुआ था आग उसकी तरफ बढ़ रही थीं । "भीड़ में कोई किसी के बारे में ध्यान नहीं रखता सब अपनी जान को बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ते हैं",  राजू उस वृद्ध व्यक्ति के पास जैसे-जैसे पहुँचा और उसे बचाने के लिए सोचने लगा।  आग की लपटें बहुत तेज हो गई थी धीरे-धीरे राजू भी आग की गिरफ्त में आने लगा था, राजू ने धैर्य और साहस से काम लिया जैसे जैसे लड़का था वह उस विद को खींचकर आप दूर ले आया। इस दौरान राजू का हाथ आग में झुलस गया। पर उसने उस वृद्ध की सहायता की और उसे अस्पताल पहुंचाने में मदद करीं ।
           एक पैर से विकलांग राजू सिर्फ शारीरिक तौर पर विकलांग था , मन से वह बहुत साहसी था। उसने उस वृद्धि के साथ कहीं लोगों की जान बचाई और सहायता की। पूरे नगर में राजू की बहादुर के चर्चे होने लगे सब राजू की हिम्मत की मिसाल देंगे विद्यालय में गणतंत्र दिवस के पर्व पर राजू को पुरस्कृत भी किया गया ।
krishvj9297

Krish Vj

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#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc18 #हिम्मतकीमिसाल #हिम्मत राजू एक गरीब परिवार बहुत होनहार और अच्छा लड़का था। वह दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था। बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का था। नई चीजों को जानना और समझना उसे अच्छा लगता था । अपने सभी गुरुजनों और बड़ों का आदर सम्मान करता था । जो भी असहाय व्यक्ति जिस्को मदद की आवश्यकता हो तो उसकी सहायता वो अवश्य करता था । दुर्घटनावश उसने अपना एक पैर गवा दिया । फिर भी वह अपने इस जीवन से निराश नहीं हुआ और दूसरों की मदद करने की आदत है उसकी पहले जैसी ही रहीं। जहाँ कोई सहायता के लिए बुलाता या फिर वह अनुभव करता किसी को सहायता की आवश्यकता है तो उसकी मदद करने पहुँच जाता था । नगर में एक विशाल उत्सव का आयोजन किया जा रहा था । उसमें बहुत से कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले थे। आयोजन बहुत बड़े स्तर पर था। आसपास के सभी नगरों से लोग देखने आने वाले थे। राजू भी उस उत्सव को देखने के लिए अति उत्साहित था। ठीक 2 दिन बाद उत्सव का आयोजन शुरू हुआ । अनेक लोग उत्सव देखने के लिए आए हुए थे । काफी भीड़भाड़ थी, राजू भी उत्सव देखने के लिए आया था। उत्सव का कार्यक्रम अच्छे से चल रहा था कि अचानक से आग की लपटों ने उत्सव पांडाल को अपनी गिरफ्त में ले लिया । यह देख अफरा-तफरी मच गई, लोग इधर से उधर भागने लगे। राजू को भी कुछ समझ नहीं आया।अपने अच्छे स्वभाव के कारण वह लोगों की मदद करने के लिए आगे बढ़ा । राजू के मन में भी एक की आशंका थी , मैं विकलांग हूँ मैं कैसे किसी की सहायता कर पाऊँगा ? कहते हैं मन में अगर हमने सोच लिया है कि हम यह कार्य कर सकते हैं तुम हमारे लिए संभव नहीं रहता। राजू ने अपने मन को दृढ़ किया । उसने सबसे पहले फायर स्टेशन पर दूरभाष से घटना की जानकारी उन्हें दी और तुरंत आने को कहां। फिर वह लोगों की मदद करने के लिए गया, एक वृद्ध आदमी जो भीड़ की वजह से जमीन पर लेटा हुआ था आग उसकी तरफ बढ़ रही थीं । "भीड़ में कोई किसी के बारे में ध्यान नहीं रखता सब अपनी जान को बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ते हैं", राजू उस वृद्ध व्यक्ति के पास जैसे-जैसे पहुँचा और उसे बचाने के लिए सोचने लगा। आग की लपटें बहुत तेज हो गई थी धीरे-धीरे राजू भी आग की गिरफ्त में आने लगा था, राजू ने धैर्य और साहस से काम लिया जैसे जैसे लड़का था वह उस विद को खींचकर आप दूर ले आया। इस दौरान राजू का हाथ आग में झुलस गया। पर उसने उस वृद्ध की सहायता की और उसे अस्पताल पहुंचाने में मदद करीं । एक पैर से विकलांग राजू सिर्फ शारीरिक तौर पर विकलांग था , मन से वह बहुत साहसी था। उसने उस वृद्धि के साथ कहीं लोगों की जान बचाई और सहायता की। पूरे नगर में राजू की बहादुर के चर्चे होने लगे सब राजू की हिम्मत की मिसाल देंगे विद्यालय में गणतंत्र दिवस के पर्व पर राजू को पुरस्कृत भी किया गया ।