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White मेरा भी बचपन का सपना था,एक ही ख़्वाब ब

White  मेरा भी       बचपन का सपना था,एक ही ख़्वाब बस अपना था।
जीवन मे मेरी भी अपनी  पहचान हो,मेरे भी सपनो में जान हो  ।
मग़र वक्त की आंधी में सब बह गया,मेरा सपना बस सपना ही रह गया।
सब जिम्मेदारियां निभाते 2 सपनो को कब भूली पता ही ना चला।
जिंदगी      ऐसी थी मालूम   नही   कब  सुबह हुई कब दिन ढला।
चली   जा    रही  थी  एक    खाली  सा  दिल   लेकर  सीने में ।
जिंदगी  को    ढो      रही      थी ,  चाहत   कब    थी   जीने में।
एक दिन  फिर वही सपना ,  फिर    से दिल मे पनपने लगा था।
धड़कन    बनकर   सीने    में    फिर         से धड़कने लगा था।
साथ मिला काग़ज़ और क़लम का , सपनो में फिर जान आई।
मुरझाए    से    सपने    मेरे      फिर लेने   लगे    थे अंगड़ाई ।
अब बरसो बाद कलम  हाथ मे आई, जैसे मृत देह में जान आई।
जीती   हूँ   उन      सपनों    को ,जो   दफन     हुए थे सीने में।
अब एक   नई    पहचान     बनाकर,   सुकून मिला है जीने में।।
                                        पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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