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कहते हैं जब रोम जल रहा था नीरो बांसुरी बजा रहा था

कहते हैं 
जब रोम जल रहा था
नीरो बांसुरी बजा रहा था

और दरबारी सब
बांसुरी की धुन पर नाच रहे थे

रोम के जलने का गुनहगार
सिर्फ नीरो ही नहीं
दरबारी भी थे

और जनता?

जनता वही कर रही थी
जो आजकल
हम और आप कर रहें हैं

©Rabindra Prasad Sinha
  #अनपढ़प्रेम