प्रण प्रिय नर ~~~~~~~ प्रण प्रिय नर निष्प्राण में, भर देता है प्राण। उर में उसके भाव भर, करे मनुज का त्राण।। प्राण प्रतिज्ञा वे करें, और बढ़ाए मान। दिया वचन पूरा करें, जाए चाहे जान।। फूंक प्राण जब वे चले, बदले रंग बयार। मन का मुर्दा साथ हो, भरता है हुंकार।। पानी शोणित बन बहे, रग रग में तत्काल। बिगुल बजे फिर क्रांति का, बनता भीरु मिसाल।। निष्प्राणों का श्वाँस है, प्रण प्रियतम इंसान। शक्ति हीन में जोश भर, फिर दे मिटा शैतान।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #दोहा #दोहे #दोहावली #प्रणप्रियनर #glal #yqdidi #restzone #rzलेखकसमूह