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बहका हु जब-जब इस जमाने में तेरी यादों ने संभाला ह

बहका हु जब-जब इस जमाने में 
तेरी यादों ने संभाला है मुझे 
खोता हु मदहोशी के आगोश में 
तेरी मुस्कुराहट ने संभाला हैं मुझे 
तंग करती है इन गलियों का शोर शराबा मुझे
 मन में गूंजते तेरी आवाज ने संभाला हैं मुझे
जिंदगी मायाजाल हैं जी का जंजाल हैं
  तेरे लंबे काले घुंघराले बालों ने संभाला है मुझे 
जब-जब उठा रंगो से वास्ता मेरा
 तेरे होठों के लाली ने संभाला है मुझे
रात का साया डर पैदा करता है जेहन में
 तेरे आंखों के काजल ने संभाला है मुझे 
बहकता मन चंद गलियों में विचरण करता है
 तेरे बदन की खुशबू ने संभाला है मुझे 
बहका हु जब-जब इस जमाने में
 तेरी यादों ने संभाला है मुझे
  तेरी यादों ने संभाला है मुझे।

©Akhilesh Dhurve
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