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म्हारी मित्र खेजङी, ऊनाळै सियाळै तुं रेवै हरी-भरी,

म्हारी मित्र खेजङी,
ऊनाळै सियाळै तुं रेवै हरी-भरी,
काळा हिरण थारै चिन्या मे कुचाळा मारै,
जद ऊनाळै मे सागळा वृक्ष सुखा जावै।
पण तुं किंया हरी-भरी रेवै,

भोट री लू मे तुं एकली खै चादी वै,
जीव थारी छीना मे बैठ अर जान बचावै
ऊनाळै मे पानी घणी घणी कोसा तांई नी मिळै,
पण तुं खेजङी हरी-भरी रेवै।

भोट राय तीखै तवङियै मे जींवा राय होठां मथाई,
फेफियां आ जावै पण तुं युं खङी गुड़ावै,
मारवाङ रा किसान थारी सांगरी ने गणै चावै सूं खावै,
थारै लुंख ने खा'र अनुता ऊंठ अरङावै।

©Monu
  खेजड़ी का महत्व
 poonam atrey संजय सिंह भदौरिया भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन रविन्द्र 'गुल' ek shayar TanyaSharma 
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