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रहने लगा जबसे कसाफ़त में लुत्फ़ आने लगा है हिक़ारत

रहने लगा जबसे कसाफ़त में  
लुत्फ़ आने लगा है हिक़ारत में 
(कसाफत - अंधकार)
(हिकारत - हकीर अर्थात तुच्छ होने की अवस्था या भाव)

क्यों करूँ पहल ए यार किसी से
जब तन्हाई पाया हूँ रफ़ाक़त में 
(रफ़ाक़त - दोस्त के रूप)

बे-रुख़ी बे-दिली क्यों कर सँवारें 
दिल नहीं लगता हर्फ़ - हिकायत में 
(क्यों कर - कैसे )
(हर्फ़ - हिकायत - गुफ़्तगू , बातचीत ,मेल मिलाप)

ये हँसी, शादाब सुकूँ पीछे रह गया
ज़िंदगी गुजर रही है अब नदामत में 
(शादाब - खुशी सुख )
(नदामत - मलाल , पछतावा )

मर जाऊँगा पर गुलाम नहीं होने दूँगा 
कलम उठाया हूँ रास्त के हिफाज़त में 
(रास्त - सत्य )

तुम कह रहे हो गर तो मान लूँगा म'गर 
मिरी ख़ुशी मिरा सुकूँ सब किताबत में 
(किताबत - लिखने की क्रिया)

जीतना हो मुहब्बत कीजिए कुनु से 
मुनाफ़ा कुछ नहीं है यारों अदावत में 
अदावत - नफ़रत , दुश्मनी , द्वेष

©Author kunal
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