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दिल के दीप प्रज्वलित करके, जाने कहाँ तुम चले गए।

दिल के दीप प्रज्वलित करके, 
जाने  कहाँ तुम चले गए।
सदियों से प्यासी मीन को,
बिन जल यूँही छोड़ गए।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  दिल के दीप प्रज्वलित करके जाने  कहाँ तुम चले गए।
सदियों से प्यासी मीन को बिन जल यूँही छोड़ गए।
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