Nojoto: Largest Storytelling Platform

तन्हा तन्हा ,भीगी भीगी ,सिमटी सहमी सकुचाई सी, उस ब

तन्हा तन्हा ,भीगी भीगी ,सिमटी सहमी सकुचाई सी,
उस बरसात की रात में , कुछ   डरी डरी घबराई सी,

वो लाज का चुनर ओढ़े थी,दोनों हाथों को जोड़े थी,
बेचैन से क़दमों से चलती,उम्मीद से वो मुँह मोड़े थी,

था  नही  जानवर  से  ख़तरा ,थी  डरी हुई इंसानों से,
वो जान  बचाकर  आई थी , अपने  घर के हैवानो से,

नही  रास्ता  सूझ    रहा , घनघोर   अँधेरा  पसरा था,
जान की परवाह किसे पड़ी,बस इज़्ज़त का ख़तरा था,

मन्दिर  की  घण्टी  के  सुर , जब उसके कानों में गूँजे,
अब शरण ईश की पाएगी, बहुत  फिरी  गलियां  कूँचे,

अब द्वारे ईश्वर के आकर ,थोड़ी राहत की साँस मिली,
बच जाएगी जान दरिंदो से,जो फ़िरते रहते गली गली,

यहाँ भी कब भगवान बसे,वो बस पत्थर की मूरत थे,
पर वो पाखंडी निकले , जो दिखते ईश्वर की सूरत थे,

इज़्ज़त को तार तार किया ,मानवता को धिक्कार दिया,
एक देवी के मन्दिर में ही ,एक देवी को अवघात किया।।
                                               पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #बरसातकीरात  Richa Mishra Dayal "दीप, Goswami.. Ravikant  Dushe  Navash2411 Mili Saha  Mahi Rajesh Arora HINDI SAHITYA SAGAR एक अजनबी Anjali saini  Ambika Mallik Rajesh Khanna Suresh Gulia अदनासा- nishi_bhatnagarr  अदनासा- nishi_bhatnagarr Suhana parvin Saloni Khanna Rakesh Srivastava  Kamlesh Kandpal Anshu writer "ARSH"ارشد Gyanendra Pandey Rahul Bhardwaj  दुर्लभ "दर्शन" Sethi Ji Utkrisht Kalakaari Sana naaz. Sunita Pathania  ANIL KUMAR,) Aditya kumar prasad भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Ashutosh Mishra अब्र (Abr)  Subhash Chandra पथिक.. प्रज्ञा डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) GULSHAN BODHISATVA  Anil Ray Madhusudan Shrivastava अकेला मानव Neel परिंदा  अकेला मानव shashi kala mahto Urvashi Kapoor शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) बादल सिंह 'कलमगार'