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धीरे धीरे सबकी  मस्ती उतार  दी उसने, हस्ती  हुई सा

धीरे धीरे सबकी  मस्ती उतार  दी उसने,
हस्ती  हुई सारी  बस्ती उजाड़  दी उसने,

भरोसा ऐसा बना सब अंधभक्त बन बैठे,
भवर में नाव थी तख़्ती उखाड़ दी उसने।

शिव कुशवाहा
02/04/2024
9:40 Am

©Shiv Kushwaha
  Mamta kumari Eshamahi विकास शाक्य khubsurat