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मोक्ष (दोहे) कलयुग के इस दौर में, मोक्ष नहीं आसान

मोक्ष (दोहे)

कलयुग के इस दौर में, मोक्ष नहीं आसान।
अहं भाव में चूर है, उसे कहाँ सम्मान।।

मोक्ष मिला जिसको कभी, ईश्वर का वरदान।
जन्म-मृत्यु से दूर है, यह कहते भगवान।।

जीवन ये सबसे कठिन, कहते हैं विद्वान।
मोक्ष मिले अब है कहाँ, बने सभी अनजान।।

ये जग माया जाल है, पा न सके हम पार।
मोक्ष देकर कृपा करो, कर दो अब उद्धार।।

ईश्वर उसके साथ हैं, जिसको है संतोष।
मोक्ष उसे ही प्राप्त है, रहे न जिसमें दोष।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
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मोक्ष (दोहे)

कलयुग के इस दौर में, मोक्ष नहीं आसान।
अहं भाव में चूर है, उसे कहाँ सम्मान।।

मोक्ष मिला जिसको कभी, ईश्वर का वरदान।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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