ना मैं छोटा हूं,ना मैं महान हूं, मैं तो बस इंसान हूं, कभी मंदिर मैं बजती घंटी हूं, कभी प्रेयर, गुरुबानी और अज़ान हूं, मैं तो बस इंसान हूं, मत बंधो मुझे बंधन में, देश- प्रदेश, नस्ल भेद, ऊंच-नीच जाति के बंधन में, कभी मैं अल्लाह, गोड, वाहेगुरु श्री राम हूं मैं तो बस इंसान हूं, हर सोच से मैं हूं परे, मैं हूं जो काल प्रलय से, भी ना लड़े, विषम परिस्थितियों में लड़ने वाला, कभी यौद्धा कभी सुल्तान हूं, मैं तो बस इंसान हूं, निराश नहीं होता हूं मैं, नित नए सपने संजोता हूं मैं, कभी अमर जवानों को बलिदान हूं, मैं तो बस इंसान हूं, कभी वैज्ञानिक मैं इसरो नासा का, कभी मूल प्रेम की परिभाषा का, कभी शिक्षक, डॉक्टर, नर्स, कभी श्रमिक तो कभी किसान हूं, मैं तो बस इंसान हूं, युग काल खंड मे मैंने देखे हैं, समय ने गुरुर के ताज उतार फेंके हैं, कभी बजा मैं बंसी सा, कभी वीना तनपुड़े की तान हूं मैं तो बस इंसान हूं Abhishekism 17th May 2019 (12:15 AM) #abhishekism #abhimantra #poet #poem #writer #hindi #writing #poems #poets #hindipoem