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वही शाम वही रात वही तारे हैं मगर मायूस दिल वही नज

वही शाम वही रात वही तारे हैं
 मगर मायूस दिल वही नजारे हैं

लगा था कल जंग जीत कर आए
आज बैठे हैं जैसे जिंदगी से हारे हैं

मेरी  जहां से खफा हो चांद गया
गम मैं डूबे मिलते नहीं किनारे हैं

गुल खिले खुशबू से घुट रहा है दम
आज बेखुद हमें तड़पा रही बहारें हैं

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #गजल