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ख़रीदकर जो परिंदे उड़ाए जाते हैं हमारे शहर में क़स

ख़रीदकर जो परिंदे उड़ाए जाते हैं
हमारे शहर में क़सरत से पाये जाते हैं।
कभी मिलोगे तो फिर जान जाओगे हमको
हम एैसे हैं नहीं ! जैसे बताये जाते हैं।

-इमरान आमी

©साहित्य संजीवनी
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