पूछ लो दूर से ही ख़्याल, ये अच्छा है ज़ालिम जमाना अब नहीं सच्चा है घुट-घुट कर मर रहा है हर इक आदमी और लोग कहते है जो हुआ वो अच्छा है घर के बूढ़े अब गुनहगार लगते है बूढ़े की नसीहत को कहते है बच्चा है मिट्टी की मोल क्या है कुम्हार! से पूछो तुम तो कह देते हो ये घरौंदा कच्चा है रोटी कमाने बाले घर से दूर रोटी को मर गए और तुम बगैर समझे कहते ये साल अच्छा है इंसानियत के लिए ये आफ़त की वक़्त है ज़ालिमों के लिए ये कोरोना काल अच्छा है ©prakash Jha पूछ लो दूर से ही ख़्याल, ये अच्छा है ज़ालिम जमाना अब नहीं सच्चा है घुट-घुट कर मर रहा है हर इक आदमी और लोग कहते है जो हुआ वो अच्छा है घर के बूढ़े अब गुनहगार लगते है बूढ़े की नसीहत को कहते है बच्चा है