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Best prakashjha_gazal Shayari, Status, Quotes, Stories

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Afrin Jahan

दिलों में दर्द है उसी के नाम का... बारिस को पता मिली है मेरे कच्चे मकान का.! Prakash jha #prakashjha #prakash_jha #prakashjha_shayri #prakashjha_gazal #yqbaba #yqdidi shayari #YourQuoteAndMine Collaborating with Prakash Jha

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दिलों का दर्द वक्त के साथ बढ़ता ही जाएगा,
अगर ना किया इसका  कोई बेहतर इंतजाम तो,
मुझे वह एक दिन ज़रूर बेमौत मार जाएगा, दिलों में दर्द है उसी के नाम का...
बारिस को पता मिली है मेरे कच्चे मकान का.!
Prakash jha

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Collaborating with Prakash Jha

साहस

ये दंरीदगी किस रात की है ये हवसिपन किस बात की है मेरे हाथों में जो लहू लगे है ये लहू किसी इंसानी जात की है। आज सारा जहाँ हुआ शर्मिंदा है किसी के हाथों से लहू-लुहान हुआ परिंदा है ये कैसी दुनिया में हम जिये जा रहे है #YourQuoteAndMine #prakashjha #prakashjha_shayri #prakashjha_संवेदना #prakash_jha #prakashjha_gazal

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ये जो मेरे हथेलियों में इश्क के खून का इल्जाम लगा है।
ये आदमी के नहीं किसी रूह के छीटें बदन पर दिखे है।। ये दंरीदगी किस रात की है
ये हवसिपन किस बात की है
मेरे हाथों में जो लहू लगे है
ये लहू किसी इंसानी जात की है।

आज सारा जहाँ हुआ शर्मिंदा है
किसी के हाथों से लहू-लुहान हुआ परिंदा है
ये कैसी दुनिया में हम जिये जा रहे है

prakash Jha

आरज़ू है कि उनसे मिलूँ, पर वो ना मिले तो मैं क्या करूँ जिसे समझा मैं अपना नसीब वही दे दग़ा तो मैं क्या करूँ एक रात की थी जुस्तजू, वो मिले मुझसे ऐसे हुबहू मुझे क़फ़स में बिठा कर के वो चले गए तो मैं क्या करूँ मशहूर वो तो बहुत हुए, मूझे छोड़ कर जब वो गए जो ज़ख्म मैंने सी लिया वही दरक जाए तो मैं क्या करूँ #Life #शायरी #prakashjha #prakashjha_shayri #prakash_jha #prakashjha_gazal

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आरज़ू है कि उनसे मिलूँ, पर वो ना मिले तो मैं क्या करूँ
जिसे समझा मैं अपना नसीब वही दे दग़ा तो मैं क्या करूँ

एक रात की थी जुस्तजू, वो मिले मुझसे ऐसे हुबहू
मुझे क़फ़स में बिठा कर के वो चले गए तो मैं क्या करूँ

मशहूर वो तो बहुत हुए, मूझे छोड़ कर जब वो गए
जो ज़ख्म मैंने सी लिया वही दरक जाए तो मैं क्या करूँ

पैबस्त इतनी सी उनसे है मेरी, की उनसे कुछ न कह सकूँ
वही वस्ल है वही हिज़्र है वही अज़ाब है तो मैं क्या करूँ

वो अज़ीज़ मिरे इतने हुए की, वो हमसे ज़रा दूर-दूर ही रहें
जो बना था हमसफ़र मिरा वही भूल जाए तो मैं क्या करूँ

इज़्तिराब इतनी बढ़ गई, कि मैं न जी सकूँ न मैं मर सकूँ
मिरी अज़ीब सी है ये दास्तां कोई ना सुने तो मैं क्या करूँ

©prakash Jha आरज़ू है कि उनसे मिलूँ, पर वो ना मिले तो मैं क्या करूँ
जिसे समझा मैं अपना नसीब वही दे दग़ा तो मैं क्या करूँ

एक रात की थी जुस्तजू, वो मिले मुझसे ऐसे हुबहू
मुझे क़फ़स में बिठा कर के वो चले गए तो मैं क्या करूँ

मशहूर वो तो बहुत हुए, मूझे छोड़ कर जब वो गए
जो ज़ख्म मैंने सी लिया वही दरक जाए तो मैं क्या करूँ

prakash Jha

दर्द मिले या फिर ग़म, हम सह लेंगे ये तन्हाई का आलम, हम सह लेंगे दूर तुम मुझ से खुश हो! अच्छा है ये दूरी तो मरते दम, हम सह लेंगे लौट रहे हो गुलिस्ताँ से आ जाओ लौटने बाले तेरे सितम, हम सह लेंगे #Shayari #prakashjha #prakashjha_shayri #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_gazal

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दर्द मिले या फिर ग़म, हम सह लेंगे
ये तन्हाई का आलम, हम सह लेंगे

दूर  तुम  मुझ से खुश हो! अच्छा है
ये  दूरी  तो मरते दम, हम सह लेंगे

लौट  रहे  हो गुलिस्ताँ से  आ जाओ
लौटने बाले तेरे सितम, हम सह लेंगे

वादा  कर के भूलने बाले भूल गए हैं
भूलने बाले तेरी कसम, हम सह लेंगे

मेरी कश्ती  कब डूबी ये  मालूम नहीं
मेरे दिल पर छाई मातम,हम सह लेंगे

बारी-बारी  सबने  ज़ख्म  कुरेदे हैं मेरे
मेरे ज़ख्म लगते हैं कम, हम सह लेंगे

©prakash Jha दर्द मिले या फिर ग़म, हम सह लेंगे
ये तन्हाई का आलम,  हम सह लेंगे

दूर  तुम  मुझ से खुश हो! अच्छा है
ये  दूरी  तो  मरते  दम, हम सह लेंगे

लौट  रहे  हो गुलिस्ताँ  से आ जाओ
लौटने बाले तेरे सितम, हम सह लेंगे

prakash Jha

मेरा दिल तो पागल दीवाना है मेरे घर के सामने ही मैख़ाना हैं उनसे मिल कर उन्हें दिखाना है बात दिल की आँखों से समझना है मैं तो सुनता हूँ आवाज उनकी ये ग़ज़ल तो सिर्फ इक बहाना है #Love #Shayari #prakashjha #prakashjha_shayri #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_gazal

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मेरा दिल तो पागल दीवाना है
मेरे घर के सामने ही मैख़ाना हैं

उनसे मिल कर उन्हें दिखाना है
बात दिल की आँखों से समझना है

मैं तो सुनता हूँ आवाज उनकी
ये ग़ज़ल तो सिर्फ इक बहाना है

रात चाँद सी सूरत दिखी मुझको
मुझे तो आज ही ईद मनाना है

मुहब्बत करने का अंजाम क्या है
मुहब्बत क्या है उनको बताना है

तन्हा कटती नहीं अब ये राते
बस अब तो उन्हें अपना बनाना है

ये मोहब्बत की इम्तिहान ही सही
मुझे हर इम्तिहान से गुज़र जाना है

©prakash Jha मेरा दिल तो पागल दीवाना है
मेरे घर के सामने ही मैख़ाना हैं

उनसे मिल कर उन्हें दिखाना है
बात दिल की आँखों से समझना है

मैं तो सुनता हूँ आवाज उनकी
ये ग़ज़ल तो सिर्फ इक बहाना है

prakash Jha

ज़िन्दगी को हम जफ़ा कहते हैं मौत को हम वफ़ा कहते हैं गुमान हो जिसे सूरत पर अपनी ऐसी सूरत को हम दग़ा कहते हैं ज़ुल्म सह कर भी जो उफ़ ना करे ऐसे लोगों को हम ख़ुदा कहते हैं #Shayari #blackandwhite #prakashjha #prakashjha_shayri #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_gazal

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ज़िन्दगी  को   हम  जफ़ा  कहते हैं
मौत    को   हम   वफ़ा   कहते  हैं

गुमान  हो  जिसे  सूरत  पर अपनी
ऐसी  सूरत को  हम  दग़ा  कहते हैं

ज़ुल्म सह कर  भी जो उफ़ ना करे
ऐसे  लोगों को  हम  ख़ुदा  कहते हैं

इश्क़  क्या  है  कौन  समझाए  हमें
इश्क़  को  भी   हम  नशा  कहते हैं

वो हर बार हमें  खुद से दूर करते हैं
उसकी  याद को  हम मजा कहते हैं

झुक कर मिले तो हम गले  लगते हैं
ऊंची आवाज को हम हवा कहते हैं

©prakash Jha ज़िन्दगी  को   हम  जफ़ा  कहते हैं
मौत    को   हम   वफ़ा   कहते  हैं

गुमान  हो  जिसे  सूरत  पर अपनी
ऐसी  सूरत को  हम  दग़ा  कहते हैं

ज़ुल्म सह कर  भी जो उफ़ ना करे
ऐसे  लोगों को  हम  ख़ुदा  कहते हैं

prakash Jha

कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है #Shayari #Labourday #prakashjha #prakashjha_shayri #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_gazal

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कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है
कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है

चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर
हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है

खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा
उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है

पैसे बालो के पीछे चमचे ही फिरा करते है
ईमान बाले को बईमान बताया जा रहा है

भूलना ही है तो भूलते क्यों नहीं दुश्मनी
कमज़रो को कर्ज तले दबाया जा रहा है

पैसों की मद में क्या ख़ूब रंजिश है निभाई
आंगन की बीच में दीवार बनाया जा रहा है

©prakash Jha कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है
कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है

चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर
हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है

खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा
उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है

prakash Jha

दोस्त अब दोस्ती निभाते नहीं बुझते दीये को अब जलाते नहीं मोबाइल में तो हज़ारो दोस्त है पर बुरे दौर में कोई साथ आते नहीं गरीब के दिल में इंसानियत जिंदा है गरीब का छप्पर कोई उठाते नहीं #Friendship #Shayari #prakash #prakashjha #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_gazal

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मुश्किल घड़ी और दोस्त दोस्त   अब   दोस्ती   निभाते  नहीं
बुझते  दीये  को  अब  जलाते नहीं

मोबाइल  में   तो  हज़ारो   दोस्त  है
पर बुरे दौर में कोई  साथ आते नहीं

गरीब के दिल में इंसानियत जिंदा है
गरीब  का  छप्पर  कोई  उठाते नहीं

इस  गली  से  मेरा  रिश्ता  पुराना है
पर  मेरा  अतीत   मुझे  बुलाते  नहीं

बचपन  की दोस्ती  अब  जिंदा कहाँ
बड़े होते हीं दोस्त,दोस्ती जताते नहीं

दोस्ती  तो  ख़ुदा  की  इबादत  सी हैं
दोस्ती  में   दोस्त   कभी रुलाते नहीं

©prakash Jha दोस्त   अब   दोस्ती   निभाते  नहीं
बुझते  दीये  को  अब  जलाते नहीं

मोबाइल  में   तो  हज़ारो   दोस्त  है
पर बुरे दौर में कोई  साथ आते नहीं

गरीब के दिल में इंसानियत जिंदा है
गरीब  का  छप्पर  कोई  उठाते नहीं

prakash Jha

जब तलक़ चल रही है ज़िन्दगी चलने दो हर इक मुश्किलों में ज़िन्दगी को पलने दो वक़्त के साथ ज़िन्दगी की रेस लगानी है अभी और सहरा में ज़िन्दगी को जलने दो prakash jha #prakashjha_shyari #prakashjha #prakash_jha #prakashjha_gazal

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zindagi  जब तलक़ चल रही है ज़िन्दगी चलने दो
हर इक मुश्किलों में ज़िन्दगी को पलने दो
वक़्त के साथ ज़िन्दगी की रेस लगानी है
अभी और सहरा में ज़िन्दगी को जलने दो

©prakash Jha जब तलक़ चल रही है ज़िन्दगी चलने दो
हर इक मुश्किलों में ज़िन्दगी को पलने दो
वक़्त के साथ ज़िन्दगी की रेस लगानी है
अभी और सहरा में ज़िन्दगी को जलने दो
prakash jha

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prakash Jha

वो कोई और बात थी जो तुम मुक़र गए, ये और बात है कि टूट कर हम बिख़र गए। prakash jha #prakashjha #prakashjha_shyari #prakash_jha #prakashjha_gazal

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वो कोई और बात थी जो तुम मुक़र गए,
ये और बात है कि टूट कर हम बिख़र गए।

©prakash Jha वो कोई और बात थी जो तुम मुक़र गए,
ये और बात है कि टूट कर हम बिख़र गए।
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