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Autumn ये बेरुखी तेरी अच्छी नहीं लगती एक पल की दू

Autumn ये बेरुखी तेरी अच्छी नहीं लगती
 एक पल की दूरी भी अब अच्छी नहीं लगती
पहले हुआ करती रोज बाते फोन पर
अब एक साल गुजरी हुई 
जिंदगी अच्छी नहीं लगती

©Poet Kuldeep Singh Ruhela
  #autumn ये बेरुखी तेरी अच्छी नहीं लगती
 एक पल की दूरी भी अब अच्छी नहीं लगती
पहले हुआ करती रोज बाते फोन पर
अब एक साल गुजरी हुई जिंदगी अच्छी नहीं लगती

#autumn ये बेरुखी तेरी अच्छी नहीं लगती एक पल की दूरी भी अब अच्छी नहीं लगती पहले हुआ करती रोज बाते फोन पर अब एक साल गुजरी हुई जिंदगी अच्छी नहीं लगती #शायरी

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