"निःस्वार्थ प्रेम" प्रेम की परिभाषा है, प्रेमियों का बिना स्वार्थ के, दो आत्माओं का मिलन, बिना दाग का एक पवित्र रिश्ता, ना जिस्म की चाह, ना हवस की तलब, बस चाहत होती है तो सिर्फ, एक दूसरे के किरदार की। प्रेम क़ायनात की वो चिड़िया है, वह कब आ कर दिल पर बैठ जाए पता ही नहीं चलता, साथ गुजारे लम्हों के बाद, जब अकेले होते हैं हम, तो खलती है उसकी कमी हमें। एक नया एहसास जगाता है ज़हन मे, जब प्रेम का रंग चढ़ता है हल्के हल्के से, दुनिया की सबसे तुच्छ चीज भी, हमे नयाब लगने लगती है, किसी के सामने सर ना झुकाने वाला, उसके सामने पलके झुकाए खड़ा होता है। वह आदत भी हमारी, इबादत भी हमारी, वह दिली ख़्वाहिश भी हमारी, और जिंदगी भी हमारी। प्रेम का सच्चा मतलब है, बिना छुए इतना चाहना उसको की, दुःख में तेरे सिवा उसको कोई याद ना आए, प्रेम यानी की इज्ज़त, हमेशा इज्ज़त करना अपने हमराही की, इससे आपसी रिश्तो में समझदारी बढ़ेगी, और दोनों की ज़िंदगी हमेशा ही निखर जाएगी।— % & रचना क्रमांक :-8 #collabwithकोराकाग़ज़ #जश्न_ए_इश्क़ #विशेषप्रतियोगिता #kkजश्न_ए_इश्क़ #kkvalentinesweek2022 #कोराकाग़ज़ #kknitesh2022