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बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार । फिर भ

बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ।
फिर भी मिलके समधी जी से , खूब जताएँ प्यार ।।

टी.वी फ्रिज ऐ.सी तक लाए , और संग संदूक ।
थाली चम्मच और कटोरी , देकर भी है मूक ।।
चिल्लाता है लड़के वाला , देगा क्या लाचार ।
बिटिया के विवाह में लुटता , देखा है परिवार ....

अब तक खेली थी जो आँगन , आज हुई है दूर ।
 रीति जगत पे माँ बेटी की ,प्रीत हुई मजबूर ।।
अब तो बेटी तेरा वो घर , तेरा है परिवार ।
बिटिया के विवाह में रोता , देखा है परिवार ।।

माँग कहाँ थमने वाली है , देता रह उपहार ।
तेरा दिया कहाँ है दिखता , जो करता उपकार ।
हाथ जोड़ ले अब तो नादा , दे न सकेगा कार ।
बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ।।

विवाह होता तो हो जाता , यह तो है ब्यापार ।
लडके वालों का अब तो ये , लगता है अधिकार ।
बिन दहेज कहीं न बसता अब , लड़की का संसार
बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ..

कन्या दान संग में हमने ,कर दी माँगें पूर ।
अब तो ले जायेंगे हँसकर, भरकर वह सिंदूर ।।
आज प्रीत ने छोटी कर दी, नफरत की दीवार ।
बिटिया के विवाह में खुश है , मेरा यह परिवार ...
मिलकर समधी समधन से , खूब जताएँ प्यार ...

२८/११/२०२२     -      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Missing बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ।
फिर भी मिलके समधी जी से , खूब जताएँ प्यार ।।

टी.वी फ्रिज ऐ.सी तक लाए , और संग संदूक ।
थाली चम्मच और कटोरी , देकर भी है मूक ।।
चिल्लाता है लड़के वाला , देगा क्या लाचार ।
बिटिया के विवाह में लुटता , देखा है परिवार ....
बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ।
फिर भी मिलके समधी जी से , खूब जताएँ प्यार ।।

टी.वी फ्रिज ऐ.सी तक लाए , और संग संदूक ।
थाली चम्मच और कटोरी , देकर भी है मूक ।।
चिल्लाता है लड़के वाला , देगा क्या लाचार ।
बिटिया के विवाह में लुटता , देखा है परिवार ....

अब तक खेली थी जो आँगन , आज हुई है दूर ।
 रीति जगत पे माँ बेटी की ,प्रीत हुई मजबूर ।।
अब तो बेटी तेरा वो घर , तेरा है परिवार ।
बिटिया के विवाह में रोता , देखा है परिवार ।।

माँग कहाँ थमने वाली है , देता रह उपहार ।
तेरा दिया कहाँ है दिखता , जो करता उपकार ।
हाथ जोड़ ले अब तो नादा , दे न सकेगा कार ।
बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ।।

विवाह होता तो हो जाता , यह तो है ब्यापार ।
लडके वालों का अब तो ये , लगता है अधिकार ।
बिन दहेज कहीं न बसता अब , लड़की का संसार
बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ..

कन्या दान संग में हमने ,कर दी माँगें पूर ।
अब तो ले जायेंगे हँसकर, भरकर वह सिंदूर ।।
आज प्रीत ने छोटी कर दी, नफरत की दीवार ।
बिटिया के विवाह में खुश है , मेरा यह परिवार ...
मिलकर समधी समधन से , खूब जताएँ प्यार ...

२८/११/२०२२     -      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Missing बिटिया के विवाह में बिकता , देखा है परिवार ।
फिर भी मिलके समधी जी से , खूब जताएँ प्यार ।।

टी.वी फ्रिज ऐ.सी तक लाए , और संग संदूक ।
थाली चम्मच और कटोरी , देकर भी है मूक ।।
चिल्लाता है लड़के वाला , देगा क्या लाचार ।
बिटिया के विवाह में लुटता , देखा है परिवार ....