ख़्वाहिशें उम्मीद के दरिया में बहती हैं, ताउम्र जीने का सहारा बन के रहती हैं। हक़ीक़त हो न हो, ज़िन्दगी का आईना हैं, हर पल रूह को ख़्वाबों से बाँधे ही रहती हैं। दरिया को मंज़िल कभी मिले, न भी मिले, बस उम्मीदों का बहर खोजती ही रहती हैं। अजीब जहाँ है, बेहिसाब ख़्वाहिशों का भी, बेमतलब रूह को आईना दिखाती रहती हैं। Thanks Jai Kumaar for remembering me #बहर #दरिया #ज़िन्दगी #उम्मीद #हक़ीक़त #ख़्वाहिशें