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मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र

मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई।
मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई।
मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे।
लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है।
दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #surya 
मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई।
मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई।
मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे।
लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है।
दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है।
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#surya मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे। लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। #Hindi #hindi_poetry #hindi_shayari #hindisahityasagar #poem #poetshailendra #कविता

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