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एक पौधा था था मेरी बालकनी में कहते सब उसे सदाबहार

एक पौधा था
था मेरी बालकनी में 
कहते सब उसे सदाबहार हैं
वो हमेसा  मुस्कुराती थी 
सुबह सुबह बड़ी जल्दी ही निकल आती थी
थोड़ी मुस्कान थोड़ा सा पानी
मुझसे बस इतना ही चाहती थी
लेकिन एक दिन आंधी आई
वो टूट गया 
वो बिखरा था ज़मीं पर 
जैसे अपना कोई मुझसे रूठ गया
बिखरे थे पत्ते 
टूटी वो कच्ची डालिया
जो खिली नही थी अब तक
बिखर गई थी उसकी सारी कलियां
लेकिन शायद वो मुझसे रूठ गया था
मैं समेट रही थी उसे
एक एक करके
लेकिन फिसल गया वो हाथो से रेत बनकर
जैसे बहुत पीछे मुझसे छूट गया
✍️रिंकी





 एक पौधा था
था मेरी बालकनी में 
कहते सब उसे सदाबहार हैं
वो हमेसा  मुस्कुराती थी 
सुबह सुबह बड़ी जल्दी ही निकल आती थी
थोड़ी मुस्कान थोड़ा सा पानी
मुझसे बस इतना ही चाहती थी
लेकिन एक दिन आंधी आई
एक पौधा था
था मेरी बालकनी में 
कहते सब उसे सदाबहार हैं
वो हमेसा  मुस्कुराती थी 
सुबह सुबह बड़ी जल्दी ही निकल आती थी
थोड़ी मुस्कान थोड़ा सा पानी
मुझसे बस इतना ही चाहती थी
लेकिन एक दिन आंधी आई
वो टूट गया 
वो बिखरा था ज़मीं पर 
जैसे अपना कोई मुझसे रूठ गया
बिखरे थे पत्ते 
टूटी वो कच्ची डालिया
जो खिली नही थी अब तक
बिखर गई थी उसकी सारी कलियां
लेकिन शायद वो मुझसे रूठ गया था
मैं समेट रही थी उसे
एक एक करके
लेकिन फिसल गया वो हाथो से रेत बनकर
जैसे बहुत पीछे मुझसे छूट गया
✍️रिंकी





 एक पौधा था
था मेरी बालकनी में 
कहते सब उसे सदाबहार हैं
वो हमेसा  मुस्कुराती थी 
सुबह सुबह बड़ी जल्दी ही निकल आती थी
थोड़ी मुस्कान थोड़ा सा पानी
मुझसे बस इतना ही चाहती थी
लेकिन एक दिन आंधी आई

एक पौधा था था मेरी बालकनी में कहते सब उसे सदाबहार हैं वो हमेसा मुस्कुराती थी सुबह सुबह बड़ी जल्दी ही निकल आती थी थोड़ी मुस्कान थोड़ा सा पानी मुझसे बस इतना ही चाहती थी लेकिन एक दिन आंधी आई #राय #टूटेपत्ते #यकदीदी #यकबाबा #टूटी_बिखरी_चीज़ें #यकबेस्टहिंदीकोट्स #एकएककरके