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Best यकदीदी Shayari, Status, Quotes, Stories

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रिंकी✍️

भाग–भाग अब भ्रष्टाचारी चहु दिशा यही राग हमारी अब भड़क उठी जनता मेरी बस बहुत हुआ ! ले ह्रदय में आग –आग जनता मेरी अब जाग –जाग ले खींच अब .... तलवार हाथ में #यकदीदी #नेताऔरजनता #जनताकीआवाज़

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जनता अब जाग जाग 
        ✍️👇
कविता अनुशीर्षक में पढे— % & भाग–भाग अब भ्रष्टाचारी 
चहु दिशा यही राग हमारी
अब भड़क उठी जनता मेरी
बस बहुत हुआ !
ले ह्रदय में आग –आग
जनता मेरी अब जाग –जाग
ले खींच अब ....
तलवार हाथ में

रिंकी✍️

तपाक से रोटी चकले पर बेली और सटाक से तवे पर बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली बेलन– चकले की सहेली थोड़े सने आटे हाथो में थोड़े अनमने ढंग से लगे उसके कुछ बालों में #यकदीदी #यकबाबा #बेलन_और_रोटी

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तपाक से रोटी चकले पर बेली 
और सटाक से तवे पर
बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली 
बेलन– चकले की सहेली 
थोड़े सने आटे हाथो में 
थोड़े अनमने ढंग से लगे 
उसके कुछ बालों में 
बन रहे है हाथों में कुछ गोल गोल से
एक बराबर बनाए गये 
जैसे तोल मोल के
फिर बेलन –हाथो का कमाल
घूम रहा चकले पर जैसे कोई थाल।
गर्म– गर्म ,नरम –नरम से ....
तवे पर सिकती
तेरी हाथो की रोटी चूल्हे से निकली

✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या 
तपाक से रोटी चकले पर बेली 
और सटाक से तवे पर
बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली 
बेलन– चकले की सहेली 
थोड़े सने आटे हाथो में 
थोड़े अनमने ढंग से लगे 
उसके कुछ बालों में

रिंकी✍️

रंग बिरंगी प्यारी– प्यारी
कुछ नीली , कुछ पीली सी
कुछ पतंगों के लाल गाल है
कुछ पतंगे है हरी गुलाबी ,
चटकीली भड़कीली सी
मेरी पतंग है नीली – सी
दूर आसमान में वह उड़ती जाती
सभी पतंगों से है वह पेंच लड़ाती
कभी उलझती कभी सुलझती 
कभी हवाओं में गोते खाती
मुझको मेरी पतंग है भाती
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या



 #मेरीपतंग #पतंगें #बालकविता #यकदीदी  #क़िस्मत #collab #yqdidi

रिंकी✍️

राम ने कहा था 
मैं रहूं न रहूं
मेरे नाम का अयोध्या बनवाना तुम
जो सालो पहले हुई थी लडाई
हिंदू – मुस्लिम के बीच
सच बताऊं तो 
मैने नहीं देखा कभी चेहरा उनका
लेकिन उसका बदला लेकर 
आने वाली पीढ़ी को जलाना तुम
मुझे तो एसो–आराम चाहिए
भूखी मरे जनता , उससे मुझे क्या
मुझे तो बस आम चाहिए
भूखे है लोग सड़कों पर
तो हमें क्या 
मेरे लिए महल बनाबाना तुम
धर्म के नाम पर लड़ो 
काटो या कटो तुम
ऐसा ही तो कहा था मैने
जिसकी बाते तुमने सिर्फ किताबों में पढ़ी
नहीं जानती तुम्हारी भी पीढ़ी दर पीढ़ी
उसे लेकर लड़ो तुम 
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या
 #धर्म_अधर्म #धर्मकेअन्धे #यकबाबा #यकदीदी #अपनीदुनिया

रिंकी✍️

परेशानियां किसे नहीं 
लेकिन तुम्हारा यूं ,
जिंदगी से उदासीन होना
मुझे पसंद नहीं
यह तो मौसम है प्रकृति के
रहेंगे कुछ दिन तुम्हारे साथ 
और फिर बदल जायेंगे
तुम शुरुआत करो 
शुरुआत करो.......
एक मुस्कुराहट की ।
कुछ पल खुद के साथ की
एक कप कॉफी 
और जेब में कुछ टॉफी
बस निकल पड़ो 
खुद से ही करने प्यार के लिए
एक खूबसूरत एहसास की तलाश के लिए

✍️ रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या
 #खुदसेप्यार #बदलावऔरवक़्त #यकदीदी  #ज़िन्दगीपासरहतीहै

रिंकी✍️

बापू की लाठी 
बापू पहने खादी
बापू का चश्मा 
था कुछ गोल गोल 
बापू के साथी , 
स्वतंत्रता के बोल
बापू क नारा 
‘ भारत ’आज़ादी बोल
बापू के बंदर , 
चर्चित भारत के अंदर
वैसे तो है मेरे देश के पास 
बापू की वही लाठी आज भी 
क्योंकि कानून तो मेरा अंधा है
लेकिन मेरे कानून के पास बापू का डंडा है 
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या #बापूकीलाठी #गांधी #यकबाबा #यकदीदी

रिंकी✍️

चश्मा तुम्हारा झूठ है 
सच है तुम्हारी आंखें
नारियल सी सख्त तुम नहीं
मोम है  ह्रदय तुम्हारा
मैं समझता हूं तुम्हारे दुखो को ,
अगर कहता हूं
तो  सच यह नहीं
क्योंकि तुम तुम हो 
तुम्हारी जगह था कभी मैं नहीं
नहीं समझ सकता मैं 
तुम्हारी अंदर की कचोट को
मैं केवल देख सकता हूं
तुम्हारी ऊपरी परत की चोट को

✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या

 #मैंनहींजानता #तुम्हारादर्द #यकदीदी #यकबाबा #ykquotes  #भूलजानाचाहूँ

रिंकी✍️

आज सोचा कि सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो रोज़ की थकावट से आज थोड़ा आराम मिले शाम तक तुम्हारी महक मुझमें यूंही महकती रहे आज मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार चलना तो है हर रोज , #उजाला #यकदीदी #यकबाबा #चायकेबहाने #थोड़ा_सा_बदलाव

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आज सोचा कि
सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो
रोज़ की थकावट से आज 
थोड़ा आराम मिले 
शाम तक तुम्हारी महक मुझमें 
यूंही महकती रहे आज
मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार 
चलना तो है हर रोज ,
उसी रास्ते पर हमे
रोज़ वही काम, रोज वही भागदौड़ 
वही पुराने रास्ते वही पुराना मोड़
लेकिन आज विचार आया 
आज क्यों न एक नया रास्ता लिया जाए
तुम भी तो नहीं आती हो 
कभी यहां भूले बिसरे 
शायद तुम्हारे पास भी वक़्त नही ।
तो क्यों न आज थोड़ा रुककर 
एक चाय हो जाये 
जिंदगी की इस भागदौड़ में ,
आज थोड़ा सा बदलाव किया जाए
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या
 आज सोचा कि
सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो
रोज़ की थकावट से आज 
थोड़ा आराम मिले 
शाम तक तुम्हारी महक मुझमें 
यूंही महकती रहे आज
मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार 
चलना तो है हर रोज ,

रिंकी✍️

तपती दोपहर में भी तब गर्मी कहां
हम बच्चों का झुंड 
और कड़कती दोपहर 
घरवालों में भी तब नर्मी कहां 
चुपके से खुलते थे घरों के दरबाजे
और होते थे मुट्ठी में कुछ चावल के दाने
थोड़े आलू , एक चाकू 
कुछ लकड़ी के टुकड़े 
और कुछ कागज़ के पन्ने
छत का एक कोना 
और प्लास्टिक का खिलौना
हम बच्चों का झुंड 
सबकी मुट्ठी में था कुछ न कुछ
जलते थे फिर चूल्हे , पकते थे चावल
कुछ कच्चे और कुछ पक्के से
लेकिन जैसे थे , सब अच्छे थे
क्योंकि वो पल कहां फिर से 
जब हम बच्चे थे।

✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या #जबहमबच्चेथे #यकदीदी #यकबाबा  #फिरकहां #मिलजाएवक़्त

रिंकी✍️

हम मस्ती की टोपी डाले
मोटे भेजे के छोटे ताले
एक पांव पर लंगड़ी खेले 
क , ख , ग, घ  अंगड़ी खेले
आंख मिचौली , छुपम छुपाई
बर्फ पानी में सामत आई
एक  घेरा , घेरे में चप्पल
एक खेल ऐसा भी , 
जिसमे पत्थर पर पत्थर 
फेका बॉल गिर गया पत्थर 
भागो –भागो बॉल से बचकर
काली चूरन लाल बैर
खट्टी – मीठी इमली 
ऊंच नीच का पापड़ा
रेल के डब्बे हम बच्चे 
और हम बच्चो का आंकड़ा
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या
   
            
          
      
      

    
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