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Best यकबाबा Shayari, Status, Quotes, Stories

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रिंकी✍️

बेटी आंखो में जो चुभे तब वो कांच हो गई जब बेटी एक के बाद एक बेटे की ख्वाहिश में बेटी पांच हो गई बड़ी तो पढ़ न सकी उससे छोटी ठीक से बढ़ न सकी बाकी के अभी बहुत छोटे है #बालिकादिवस #राष्ट्रीय_बालिका_दिवस #यकहिन्दी #यकबाबा

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बेटी आंखो में जो चुभे 
तब वो कांच हो गई
जब बेटी एक के बाद एक
बेटे की ख्वाहिश में
बेटी पांच हो गई
बड़ी तो पढ़ न सकी
उससे छोटी ठीक से बढ़ न सकी 
बाकी के अभी बहुत छोटे है 
बाप की कमाई से 
ठीक से उनका पेट भर न सकी 
अब औरत और आदमी दोनो कमाते है
सबसे छोटी छह महीने की छोटी है
मां की गर्माहट के लिए
दिन रात वो रोती है।
बड़ी छोटी को सीने से लगाती है।
कभी अपनी उंगलियां
सकी मुंह में चटाती है।
बड़ी तो बड़ी नहीं उम्र से
लेकिन जिम्मेदारियों से बड़ी हो गई
मां तो नहीं रहती घर में 
लेकिन बड़ी .....
बहनों के लिए मां बनकर खड़ी हो गई
✍️रिंकी बेटी आंखो में जो चुभे 
तब वो कांच हो गई
जब बेटी एक के बाद एक
बेटे की ख्वाहिश में
बेटी पांच हो गई
बड़ी तो पढ़ न सकी
उससे छोटी ठीक से बढ़ न सकी 
बाकी के अभी बहुत छोटे है

रिंकी✍️

तपाक से रोटी चकले पर बेली और सटाक से तवे पर बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली बेलन– चकले की सहेली थोड़े सने आटे हाथो में थोड़े अनमने ढंग से लगे उसके कुछ बालों में #यकदीदी #यकबाबा #बेलन_और_रोटी

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तपाक से रोटी चकले पर बेली 
और सटाक से तवे पर
बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली 
बेलन– चकले की सहेली 
थोड़े सने आटे हाथो में 
थोड़े अनमने ढंग से लगे 
उसके कुछ बालों में 
बन रहे है हाथों में कुछ गोल गोल से
एक बराबर बनाए गये 
जैसे तोल मोल के
फिर बेलन –हाथो का कमाल
घूम रहा चकले पर जैसे कोई थाल।
गर्म– गर्म ,नरम –नरम से ....
तवे पर सिकती
तेरी हाथो की रोटी चूल्हे से निकली

✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या 
तपाक से रोटी चकले पर बेली 
और सटाक से तवे पर
बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली 
बेलन– चकले की सहेली 
थोड़े सने आटे हाथो में 
थोड़े अनमने ढंग से लगे 
उसके कुछ बालों में

रिंकी✍️

राम ने कहा था 
मैं रहूं न रहूं
मेरे नाम का अयोध्या बनवाना तुम
जो सालो पहले हुई थी लडाई
हिंदू – मुस्लिम के बीच
सच बताऊं तो 
मैने नहीं देखा कभी चेहरा उनका
लेकिन उसका बदला लेकर 
आने वाली पीढ़ी को जलाना तुम
मुझे तो एसो–आराम चाहिए
भूखी मरे जनता , उससे मुझे क्या
मुझे तो बस आम चाहिए
भूखे है लोग सड़कों पर
तो हमें क्या 
मेरे लिए महल बनाबाना तुम
धर्म के नाम पर लड़ो 
काटो या कटो तुम
ऐसा ही तो कहा था मैने
जिसकी बाते तुमने सिर्फ किताबों में पढ़ी
नहीं जानती तुम्हारी भी पीढ़ी दर पीढ़ी
उसे लेकर लड़ो तुम 
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या
 #धर्म_अधर्म #धर्मकेअन्धे #यकबाबा #यकदीदी #अपनीदुनिया

रिंकी✍️

बापू की लाठी 
बापू पहने खादी
बापू का चश्मा 
था कुछ गोल गोल 
बापू के साथी , 
स्वतंत्रता के बोल
बापू क नारा 
‘ भारत ’आज़ादी बोल
बापू के बंदर , 
चर्चित भारत के अंदर
वैसे तो है मेरे देश के पास 
बापू की वही लाठी आज भी 
क्योंकि कानून तो मेरा अंधा है
लेकिन मेरे कानून के पास बापू का डंडा है 
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या #बापूकीलाठी #गांधी #यकबाबा #यकदीदी

रिंकी✍️

चश्मा तुम्हारा झूठ है 
सच है तुम्हारी आंखें
नारियल सी सख्त तुम नहीं
मोम है  ह्रदय तुम्हारा
मैं समझता हूं तुम्हारे दुखो को ,
अगर कहता हूं
तो  सच यह नहीं
क्योंकि तुम तुम हो 
तुम्हारी जगह था कभी मैं नहीं
नहीं समझ सकता मैं 
तुम्हारी अंदर की कचोट को
मैं केवल देख सकता हूं
तुम्हारी ऊपरी परत की चोट को

✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या

 #मैंनहींजानता #तुम्हारादर्द #यकदीदी #यकबाबा #ykquotes  #भूलजानाचाहूँ

रिंकी✍️

आज सोचा कि सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो रोज़ की थकावट से आज थोड़ा आराम मिले शाम तक तुम्हारी महक मुझमें यूंही महकती रहे आज मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार चलना तो है हर रोज , #उजाला #यकदीदी #यकबाबा #चायकेबहाने #थोड़ा_सा_बदलाव

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आज सोचा कि
सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो
रोज़ की थकावट से आज 
थोड़ा आराम मिले 
शाम तक तुम्हारी महक मुझमें 
यूंही महकती रहे आज
मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार 
चलना तो है हर रोज ,
उसी रास्ते पर हमे
रोज़ वही काम, रोज वही भागदौड़ 
वही पुराने रास्ते वही पुराना मोड़
लेकिन आज विचार आया 
आज क्यों न एक नया रास्ता लिया जाए
तुम भी तो नहीं आती हो 
कभी यहां भूले बिसरे 
शायद तुम्हारे पास भी वक़्त नही ।
तो क्यों न आज थोड़ा रुककर 
एक चाय हो जाये 
जिंदगी की इस भागदौड़ में ,
आज थोड़ा सा बदलाव किया जाए
✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या
 आज सोचा कि
सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो
रोज़ की थकावट से आज 
थोड़ा आराम मिले 
शाम तक तुम्हारी महक मुझमें 
यूंही महकती रहे आज
मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार 
चलना तो है हर रोज ,

रिंकी✍️

तपती दोपहर में भी तब गर्मी कहां
हम बच्चों का झुंड 
और कड़कती दोपहर 
घरवालों में भी तब नर्मी कहां 
चुपके से खुलते थे घरों के दरबाजे
और होते थे मुट्ठी में कुछ चावल के दाने
थोड़े आलू , एक चाकू 
कुछ लकड़ी के टुकड़े 
और कुछ कागज़ के पन्ने
छत का एक कोना 
और प्लास्टिक का खिलौना
हम बच्चों का झुंड 
सबकी मुट्ठी में था कुछ न कुछ
जलते थे फिर चूल्हे , पकते थे चावल
कुछ कच्चे और कुछ पक्के से
लेकिन जैसे थे , सब अच्छे थे
क्योंकि वो पल कहां फिर से 
जब हम बच्चे थे।

✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या #जबहमबच्चेथे #यकदीदी #यकबाबा  #फिरकहां #मिलजाएवक़्त

रिंकी✍️

# एकलडकीधुपमेंरोरहीथीं #बालकविता #यक्दीदी #यकबाबा #समयतोलगेगा

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मोटू छोटू पतलू लंबू
    चलो मिलकर एक घेर बनाए 
घेर बनाकर बानो को बुलाए 
    बनो बैठेगी बीच में 
एक लडकी धूप में सो रही थी
     शोर –शोर में उठ बैठी 
वह रो रही थी........
     उठने का फिर नाम नहीं
यह कम जिद्दी इंसान नहीं
    उठो सहेली उठो अपने आंसू पोंछ लो
मिलेगा खाना मिलेगा खेलना 
     जल्दी से तुम सोच लो
फिर क्या..?
     बानो रानी ताला तोड़ जंजीरों से भाग गई
आगे आगे लंबू की सेना 
    उसके पीछे  मोटू की सेना हाफ रही और भाग रही
       ✍️ रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या



 # एकलडकीधुपमेंरोरहीथीं #बालकविता #यक्दीदी #यकबाबा        #समयतोलगेगा

रिंकी✍️

एक जैसी गाड़ी पर सवार 
 सवार हम कुछ लोग 
 लोगो को फिक्र अपने –अपने सामान की
समान कुछ देखे देखे से 
कुछ महंगे कुछ सस्ते थे कुछ अनमोल
सितार , गिटार और कुछ ढोल
सितार कुछ सुकून सा
गिटार कुछ मूड सा
ढोल हर घर में 
जाने कब बज पड़े इस बात के डर में #यकदीदी #यकबाबा

रिंकी✍️

मुझे पसंद थे चूड़ी पायल साड़ी , झुमके , काले– काजल लेकिन डरता था क्या लोग कहेंगे ? पहनूंगा तो , क्या लोग हंसेंगे ? ये आसपास के लोग है कहते ये हाव भाव तेरे ठीक नहीं ये सजना– संवरना मर्दों की सीख नहीं #पुरुष #किन्नर #यकदीदी #यकबाबा #धुनज़िन्दगीकी #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकफ़ीलिंग्स #किन्नर_व्यथा

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पुरुष तन में फंसा स्त्री मन
           👇 
कविता अनुशीर्षक में पढ़े 
मुझे पसंद थे चूड़ी पायल
साड़ी , झुमके , काले– काजल
लेकिन डरता था क्या लोग कहेंगे ?
पहनूंगा तो , क्या लोग हंसेंगे ?
ये आसपास के लोग है कहते
ये हाव भाव तेरे ठीक नहीं
ये सजना– संवरना मर्दों की सीख नहीं
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