Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये बरसात भी अजीब है कभी खुशी की कभी गम की कभी बेपन

ये बरसात भी अजीब है
कभी खुशी की कभी गम की
कभी बेपनाह मोहब्बत की
कभी रुसवाई के सैलाब सी लगती है
ये बरसात हर बार अपना रंग बदलती है
यां कहूं की ये हम ही हैं जो इसकी छवि बदलते हैं
अपने दिल के हाल सा इसको समझते हैं

ये तो हर बार पानी की बूंदों के रूप में ही गिरती है
कभी नदिया कभी नाले कभी समुद्र में मिलती है
फिर भाप बन बादलों में सिमटती है 
पर अपना रूप नहीं बदलती है, हैं स्वभाव में परिवर्तन करती है
फिर भी हमको बदली हुई लगती है

©Dr  Supreet Singh
  #बरसात