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जब जल रहा था नंदनवन विष की विशाल गहराई में तब शंकर

जब जल रहा था नंदनवन विष की विशाल गहराई में
तब शंकर के आवाहन से हर वृक्ष बचा बनराई में
जब धरती अपनी पानी को बूँद बूंद तरसती थी
तब शिव ने गंगा धारण कर हर जलतृष्णा की पूर्ति की
जब राम ने रमज़ान में एक पत्थर को भी पूज लिया
वो आलिंगन था अक्षर का जिसने शिवलिंग का रूप लिया
जब आदिशक्ति जगदम्बा ने काली बन संहार किया
वो शिव ही थे जिन पर दुर्गा ने पाँव रख उद्धार किया
जब वसुंधरा ने इंसानो को सही गलत अंजाम दिया
तब इंसानो ने अपने घर में अपनोंको ही बदनाम किया
आक्रंद सुन के मा धरा का रुद्र ने अवतार लिया
विनाश के उस नाद ने ब्रह्मांडो में विस्तार किया
निवेदन सुन के देवो का भोला प्रसन्नचित्त खुब हुआ
इंसानो का निर्वाण कर शिवने धरा को दी दुआ
हर अंत में आरंभ सा वैराग्य में नवरंग सा
संरचना में श्रुष्टि की मृदंग सा मनरंग सा
#dharmuvach✍ #महाशिवरात्रि 
#dharmuvach
#शिव 
#ओमनमःशिवाय 
#lordshiva  
#hindipoetry 
#हिंदी_कविता 
#हिंदी_उर्दू
जब जल रहा था नंदनवन विष की विशाल गहराई में
तब शंकर के आवाहन से हर वृक्ष बचा बनराई में
जब धरती अपनी पानी को बूँद बूंद तरसती थी
तब शिव ने गंगा धारण कर हर जलतृष्णा की पूर्ति की
जब राम ने रमज़ान में एक पत्थर को भी पूज लिया
वो आलिंगन था अक्षर का जिसने शिवलिंग का रूप लिया
जब आदिशक्ति जगदम्बा ने काली बन संहार किया
वो शिव ही थे जिन पर दुर्गा ने पाँव रख उद्धार किया
जब वसुंधरा ने इंसानो को सही गलत अंजाम दिया
तब इंसानो ने अपने घर में अपनोंको ही बदनाम किया
आक्रंद सुन के मा धरा का रुद्र ने अवतार लिया
विनाश के उस नाद ने ब्रह्मांडो में विस्तार किया
निवेदन सुन के देवो का भोला प्रसन्नचित्त खुब हुआ
इंसानो का निर्वाण कर शिवने धरा को दी दुआ
हर अंत में आरंभ सा वैराग्य में नवरंग सा
संरचना में श्रुष्टि की मृदंग सा मनरंग सा
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